(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Insulin: कैसे बनती है डायबिटीज के मरीजों को दी जाने वाली इंसुलिन? नहीं जानते होंगे आप
शरीर को एक्टिव रखने के लिए इंसुलिन का उत्पादन और अब्जॉर्वशन दोनों जरूरी हैं.अगर इस प्रक्रिया में कोई दिक्कत आती है तो शरीर थक जाता है.ये शरीर के अंदर बाहर दोनों जगह बनता है.
Insulin : इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन है, जो शरीर के अंदर प्राकृतिक तरीके बनता है. इसे बाहर कृत्रिम तरीके से भी बनाया जाता है. इंसुलिन का काम ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करना है. डायबिटीज के कुछ पेशेंट्स को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है. यह ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने और शरीर के कई अन्य कामकाज में मदद करता है.
शरीर को एक्टिव रखने के लिए इंसुलिन का उत्पादन और अब्जॉर्वशन दोनों जरूरी हैं. अगर इस प्रक्रिया में कोई दिक्कत आती है तो शरीर थक जाता है और असहाय महसूस करने लगता है. जर्नल ऑफ एंडोक्रोनोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन में पब्लिश एक स्टडी में बताया गया है कि दुनिया में 15.5 से लेकर 46.5% तक वयस्क तक किसी न किसी तरह इंसुलिन रेजिस्टेंस से गुजरते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं डायबिटीज के मरीजों को दी जाने वाली इंसुलिन कैसे बनती है...
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इंसुलिन शरीर में जाकर क्या-क्या करता है
1. ब्लड में शुगर की लेवल को कंट्रोल करता है.
2. शरीर में फैट को बचाकर जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल करता है.
3. शरीर की हर कोशिका तक ऊर्जा पहुंचाता है मतलब सीमित मात्रा में हर कोशिका तक ग्लूकोज ले जाता है.
4. इंसुलिन मेटाबॉलिजम को सही रखता है.
शरीर के अंदर कैसे बनता है इंसुलिन
इंसुलिन पैनक्रियाज में बनता है. खाने के बाद जब खून में शुगर और ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है, उस समय बढ़े शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन निकलता है. टाइप-1 डायबिटीज के पैनक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाएं नष्ट हो जाती है, जिसकी वजह से इंसुलिन नहीं बन पाता है. जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज है, उनके शरीर में इंसुलिन बनता है लेकिन यह प्रभावी नहीं होता है. ऐसे में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने में इसकी जरूरत होती है.
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शरीर के बाहर कैसे बनता है इंसुलिन
1. जेनेटिक इंजीनियरिंग- इंसुलिन के जीन को बैक्टीरिया या यीस्ट में डाला जाता है, जिससे वे इंसुलिन प्रोटीन का उत्पादन करते हैं.
2. फेरमेंटेशन- बैक्टीरिया या यीस्ट को बड़े टैंकों में उगाया जाता है और इंसुलिन का उत्पादन किया जाता है.
3. प्यूरिफिकेशन- इंसुलिन को शुद्ध किया जाता है और अन्य अवशेषों से अलग किया जाता है.
4. क्रिस्टलाइजेशन- शुद्ध इंसुलिन को क्रिस्टल में बदला जाता है.
5. फिल्टरेशन और पैकेजिंग- इंसुलिन को शीशियों या कार्ट्रिज में भरा जाता है और डायबिटीज के मरीजों के लिए तैयार किया जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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