क्या बला है कावासाकी डिजीज, जिसकी चपेट में आ चुका है मुनव्वर फारूकी का बेटा, जानें लक्षण
कावासाकी रोग बच्चों की दिल की आर्टरीज को नुकसान पहुंच सकता है. इस बीमारी के लक्षण बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की तरह ही हो सकते हैं.
Kawasaki Disease : स्टैंडअप कॉमेडियन और 'बिग बॉस 17' के विनर मुनव्वर फारूकी (Munawar Faruqui) के बेटे मिखाइल को कावासाकी डिजीज थी. जब वह डेढ़ साल का था, तब इस बीमारी का पता चला था. हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने इसके बारे में खुलकर बात की और इमोशनल भी नजर आए. मुनव्वर ने बताया कि जब बेटे को इलाज की जरूरत थी, तब उनके पास पैसे नहीं थे.
एक-एक इंजेक्शन 25 हजार रुपए का आता था लेकिन उनसे पास सिर्फ 700 रुपए हुआ करते थे. उन्होंने बताया कि जब बेटा दो-तीन दिनों तक ठीक नहीं हुआ तो उसे अस्पताल ले गाए जहां कावासाकी बीमारी के बारें में पता चला. उस समय पूरा परिवार मेंटली काफी परेशान हो गया था, क्योंकि तब घर के हालात भी ठीक नहीं थे. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर ये बीमारी होती क्या है और इससे बच्चों को क्या खतरा हो सकता है...
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कावासाकी डिजीज क्या है
कावासाकी डिजीज (Kawasaki Disease) एक रेयर बीमारी है, जो बच्चों के हार्ट की धमनियों (Arteries) को प्रभावित करती है. अमेरिका और कनाडा में 5 साल से कम उम्र के हर एक लाख बच्चों में 10 से 20 बच्चे इस बीमारी से जूझ रहे हैं. कावासाकी बीमारी को ही कावासाकी सिंड्रोम भी कहते हैं. इसकी वजह से ब्लड वेसेल्स की सूजन होने लगती है. ये वेसेल्स कमजोर होकर फैल जाती हैं. ऐसी कंडीशन में उसके फटने या सिंकुड़ने का खतरा रहता है. कावासाकी डिजीज की चपेट में सबसे ज्यादा 6 महीने से लेकर 5 साल की उम्र तक के बच्चे आते हैं.
कावासाकी डिजीज कितनी खतरनाक
ये बीमारी वैसे तो धमनियों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा खतरा कोरोनरी धमनियों में होने वाली समस्याएं हैं. ये हार्ट को ब्लड सप्लाई करती हैं. कोरोनरी धमनियों की वजह से बच्चों में हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.
कावासाकी डिजीज के लक्षण
1. पांच या इससे ज्यादा दिनों तक 102.2 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा बुखार होना.
2. प्राइवेट पार्ट्स या शरीर के अन्य हिस्सों में दाने और चकत्ते होना
3. लिम्फ नोड में सूजन
4. आंखों में लालिमा
5. जीभ में सूजन
6. फटे होंठ
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कावासाकी डिजीज का कारण
कावासाकी रोग का कारण अभी तक पूरी तरह साफ नहीं है. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैक्टीरिया या वायरल इंफेक्शन के बाद ये बीमारी हो सकती है. इसके लिए कुछ एनवायरमेंटल फैक्टर्स भी हो सकते हैं. ये बीमारी कुछ बच्चों में जेनेटिक भी हो सकती है. सर्दियों के आखिरी और वसंत की शुरुआत में ये बीमारी ज्यादा तेजी से फैलती है. लड़कियों की तुलना में लड़कों में इस बीमारी की आशंका ज्यादा देखने को मिलती है.
इस बीमारी का इलाज क्या है
कावासाकी बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों का इलाज डॉक्टर कुछ दवाईयों और इंजेक्शन की मदद से करते हैं. हालांकि, इससे सिर्फ इसके लक्षणों पर कंट्रोल करने की कोशिश की जा सकीत है. 2-3 प्रतिशत मामलों में ये बीमारी दोबारा हो सकती है. यही कारण है कि डॉक्टर्स नियमित जांच की सलाह देते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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