Schedule H Drugs: कुछ दवाईयां बिना डॉक्टर की पर्ची मेडिकल स्टोर से आसानी से मिल जाती हैं, जबकि कुछ के लिए डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होती हैं. ऐसा दवाईयों के खतरे को लेकर होता है. लोगों की सेहत की सुरक्षा के लिए ऐसे कई कदम उठाए गए हैं. दवाईयों को OTC, शेड्यूल-H, शेड्यूल H1 और शेड्यूल X जैसी कैटेगरी में बांटा गया है. ओटीसी का मतलब, ऐसी दवाईयां, जिन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना आसानी से खरीदा और खाया जा सकता है. इनमें पैरासिटामोल, एस्पिरिन जैसी दवाईयां है. ऐसे में आईए जानते हैं शेड्यूल-H दवाईयों का क्या मतलब होता है...
शेड्यूल-H दवाईयां क्या हैं
शेड्यूल-एच दवाईयों की मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत ही की जाती हैं. इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह या पर्ची के बिना न खरीद सकते हैं और ना ही सेवन कर सकते हैं. अगर बिना डॉक्टरी सलाह के इन दवाईयों का ज्यादा दिनों तक सेवन करते हैं तो सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है.कई बार तो जान का भी खतरा हो सकता है.
शेड्यूल-H में कितनी दवाईयां
शेड्यूल एच में 500 से भी ज्यादा दवाईयां हैं. इनमें एजिथ्रोमाइसिन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवाईयां शामिल हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेड्यूल एच दवाओं के लेबल पर Rx लिखकर आता है. इस पर इस्तेमाल करने को लेकर चेतावनी भी लिखी रहती है.
शेड्यूल H1 दवाईयां क्या हैं
एक्सपर्ट्स के अनुसार, शेड्यूल एच1 दवा में तीसरे और चौथे जेनेरेशन की एंटीबायोटिक्स, एंटी-ट्यूबरकुलोसिस और साइकोट्रोपिक ड्रग्स जैसी नशीली दवाईयां होती हैं. इन दवाओं को लेने के लिए भी डॉक्टर की पर्ची की जरूरत होती है.
शेड्यूल X दवाएं क्या हैं
इनमें नारकोटिक और साइकोट्रोपिक दवाईयां आती हैं, जो बहुत ज्यादा प्रभावी और नशीली होती हैं. इनका सीधा असर दिमाग पर होता है. इनकी गलत खुराक या ओवरडोज खतरनाक साबित हो सकती है. ये दवाईयां भी डॉक्टर की पर्ची से ही मिलती हैं.