Social Anxiety Disorder : बिजी लाइफस्टाइल और सही खानपान के न होने से हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ बुरी तरह प्रभावित हो रही है. इसकी वजह से दिन-प्रतिदिन व्यवहार में बदलाव आता रहता है. जब इससे हर दिन प्रभावित होने लगता है तो इस स्थिति को नर्वस होना मानते हैं. नर्वस होना या घबराना एक कॉमन प्रक्रिया है. यह परिस्थिति के हिसाब से होती है. एग्जाम टाइम, बीमारी के इलाज और किसी इमोशनल कंडीशन में नर्वस होना काफी आम है. ऐसी कई स्थितियां है, जब बचपन में नर्वसनेस आ जाती है लेकिन बड़े होने के साथ यह ठीक हो जाती है. हालांकि यह समस्या तब ज्यादा खतरनाक हो जाती है, जब यह अक्सर परेशान करने लगती है. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जिसे सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (SAD) या सोशल फोबिया कहते हैं. इसका लाइफ पर निगेटिव असर पड़ता है.
सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर क्या है
यह एक तरह की क्रोनिक मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम है. कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है. चिंता, घबराहट के उलट एसएडी डिसऑर्डर में डर, चिंता और निगेटिविटी का रिस्क ज्यादा रहता है. इससे रिलेशनशिप, डेली रूटीन, काम, स्कूल या दूसरी एक्टिविटीज में परेशानी आ सकती है. सोशल फोबिया की शुरुआत आमतौर पर टीनएज में होती है. हालांकि, कई बार छोटे बच्चों में भी यह समस्या होती है.
सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर के संकेत
उन चीजों से डरना, जहां आपको कमजोर आंका जा सकता है.
किसी अनजान से बात करने में घबराना
दूसरे नोटिस कर रहे हैं, यह सोचकर डर लगना
शर्माना, किसी को देखकर पसीना आना, कांपना या आवाज का कर्कश होना
शर्मिंदगी की वजह से डर और बोलने से बचना
जहां लोगों का आप पर ध्यान केंद्रित होता है, उन स्थितियों से डरना
सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर का कारण
सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Social Anxiety Disorder) के लिए कई तरह की मेंटल कंडीशन की तरह ही बायोलॉजिकल और पर्यावरणीय कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. कुछ लोगों में यह समस्या जेनेटिक भी होती है. हालांकि, यह पूरी तरह कंफर्म नहीं हो पाया है कि जेनेटिक की भूमिका सोशल फोबिया में कितनी होती है.
सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर का इलाज
अगर देखा जाए तो इस समस्या का कोई खास इलाज तो नहीं है, हालांकि, इसके लक्षण को सही समय पर पहचान कर इससे बाहर निकलने में मदद की जा सकती है. जब भी इस तरह के लक्षण दिखे तो साइकोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए. वे कुछ दवाईयां या थेरेपी की सलाह दे सकते हैं.
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