Surrogacy : मां बनना एक महिला के लिए सबसे खास होता है. हर महिला मां बनना चाहती है, लेकिन कई बार प्रेग्नेंसी के लिए कुछ महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. ICMR की रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में निःसंतानता या इन्फर्टिलिटी आम स्वास्थ्य समस्याओं में से ही एक है. सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि देश में 10-15 परसेंट कपल इन्फर्टिलिटी के शिकार हैं. ऐसे में आम से खास तक मां बनने के लिए सेरोगेसी (Surrogacy) और IVF का सहारा लेते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या होता है सेरोगेसी, इसमें कितने तरह के बच्चे पैदा होते हैं और ये IVF ट्रीटमेंट से कैसे अलग है...

 

सरोगेसी क्या है

एकदम सरल शब्दों में समझें तो अपनी वाइफ के अलावा किसी दूसरी महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना ही सरोगेसी होता है. ऐसे कपल जो माता-पिता बनना चाहते हैं लेकिन किसी वजह से बच्चे पैदा नहीं कर सकते तो वे सरोगेसी की मदद लेते हैं. सरोगेसी मुख्य रूप से दो तरीके की होती है. ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी. इनके कुछ कानूनी नियम भी होते हैं. 

 

1. ट्रेडिशनल सरोगेसी

ट्रेडिशनल सरोगेसी में डोनर या पिता के शुक्राणु या स्पर्म को सेरोगेट मदर के अंडाणु (Egg) से मिला दिया जाता है. इसमें बच्चे की बायोलॉजिकल मदर सरोगेट मदर ही होती है, जिसकी कोख किराए पर ली जाती है. हालांकि, बच्चे के जन्म के बाद उसके आधिकारिक माता-पिता वे कपल होते हैं, जिन्होंने सरोगेसी अडॉप्ट किया है.

 

2. जेस्टेशनल सरोगेसी

इसमें माता-पिता के शुक्राणु और अंडाणु को मिलाकर सेरोगेट मदर की कोख में रख दिया जाता है. इस प्रॉसेस में सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, उनका जेनेटिकली बच्चे से कोई संबंध नहीं होता है और बच्चे की मां सरोगेसी कराने वाली महिला होती है.

 

IVF से कितनी अलग सेरोगेसी

एक्सपर्ट्स के अनुसार, सेरोगेसी और IVF एक-दूसरे से काफी अलग हैं. सरोगेसी में लैब में आर्टिफिशियल तरीके से तैयार हुए भ्रूण को किसी दूसरी महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है हालांकि इसमें स्पर्म और अंडे दोनों ही माता-पिता के ही होते हैं. जबकि IVF में फर्टिलाइजेशन लैब में होती है. इसके बाद इसे मां के गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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