West Nile Disease : हमास के साथ लंबे समय से जंग लड़ रहे इजराइल पर अब एक और मुसीबत आ गई है. जहां मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारी वेस्ट नाइल डिजीज (West Nile Disease) का खतरा बढ़ रहा है. हाल ही में इजराइल में इस संक्रमण से चार लोगों की जान चली गई है. इस बीमारी की चपेट में आने वालों की संख्या 48 पहुंच गई है, जिनमें से 36 अस्पताल में है और 5 की हालत गंभीर बनी है.


इजराइल एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एंड हेल्थ मिनिस्ट्री ने बताया कि मॉस्किटो इंफेक्टिड वायरस के फैलने की सबसे पहली पुष्टि बेन ग्यूरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुई. इससे पहले मई 2024 में केरल में भी वेस्ट नाइल वायरस से एक शख्स की मौत हो गई थी. त्रिशूर, मलप्पुरम और कोझिकोड जिलों से भी इस वायरस के 6 केस मिले हैं. ऐसे में आइए जानते हैं यह वायरस कितना खतरनाक है और इससे कैसे बचा जा सकता है...


वेस्ट नाइल वायरस क्या है
वेस्ट नाइल वायरस मच्छरों से पैदा होने वाली एक बीमारी है. संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से इंसानों और जानवरों में फैलती है. WHO के अनुसार, ये वायरस इंसानों मनुष्यों में फैलने वाला न्यूरोलॉजिकल डिजीज है. इससे संक्रमित होने वाले करीब 80% लोगों में कोई लक्षण नजर नहीं आता है. इस बीमारी के ज्यादातर मामले अफ्रीका, यूरोप, नॉर्थ अमेरिका और वेस्ट एशिया में मिलते हैं. ये वायरस फ्लेविवायरस जीन्स का सदस्य है और फ्लेविविरिडे फैमिली के जापानी एन्सेफलाइटिस एंटीजेनिक कॉम्प्लेक्स से जुड़ा हुआ है.


वेस्ट नाइल वायरस पहली बार कब मिला था
WHO के अनुसार, वेस्ट नाइल वायरस (WNV) सबसे पहली बार 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल जिले में पाया गया था. तब एक महिला में पाए गए इस संक्रमण की पहचान नील डेल्टा क्षेत्र में कौवे और कोलम्बिफोर्मेस में हुई थी. 1999 में ये बीमारी इजराइल और टूनिशिया में फैलने लगी. केरल में पहला मामला साल 2011 में आया था.


वेस्ट नाइल वायरस किस तरह फैलता है
यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है. ये ब्रेन और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है. इंसानों के अलावा घोड़ों में ये काफी तेजी से फैलता है और उनकी मौत का कारण बनता है. घोड़ों में इस बीमारी की वैक्सीन है लेकिन इंसानों में अभी वैक्सीन नहीं आई है. इस पर रिसर्च जारी है. मच्छरों के काटने और पशु-पक्षियों को खाना खिलाते समय उनके संपर्क में आने से इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. 


वेस्ट नाइल वायरस के लक्षण
इस बीमारी में सिरदर्द, ब्रेन में सूजन और स्ट्रोक का खतरा रहता है. इसके अलावा वॉमिटिंग, बुखार, बदन दर्द और आंखों में दर्द जैसी समस्या होती है. इससे इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है. इसकी चपेट में आने वाले सिर्फ एक फीसदी लोगों में गंभीर लक्षण नजर आते हैं. बच्चों या 60 से ज्यादा उम्र वालों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. डायबिटीज़, हार्ट डिजीज और किडनी की बीमारी वालों में इसका खतरा ज्यादा रहता है.


इस संक्रमण से बचने के उपाय


1. जितना हो सके मच्छरों से बचें
2.  फुल स्लीव कपड़े पहनें, इनसेक्ट रेपिलेंट यूज करें, आउटडोर एक्टीविटी अवॉयड करें, मच्छरदानी और कॉइल लगाएं.
3. जानवरों के संपर्क में आते हैं तो सावधानी बरतें.
4.  हेल्दी डाइट ही लें. रोड साइड फूड्स अवॉयड करें. पानी उबालकर ही पिएं.
5.  घर की साफ-सफाई करें, पानी जमान न होने दें.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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