मधुमेह के रोगी को अपने ब्लड शुगर लेवल पर नजर रखना बेहद जरूरी होता है. आपके खून में शुगर की मात्रा इंसुलिन नाम के एक हार्मोन के द्वारा नियंत्रित होती है. डायबिटीज के मरीज का शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या उत्पादित इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, जिसकी वजह से अक्सर ब्लड शुगर के लेवल में वृद्धि होती रहती है. हाई ब्लड शुगर से दिल का दौरा, किडनी की बीमारी और लिवर की समस्या का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए लगातार ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी करने से सेहत की स्थिति का प्रबंधन करने और जटिलताओं को रोकने में मदद मिलती है. आज से समय में ब्लड शुगर लेवल का परीक्षण एक पोर्टेबल ब्लड ग्लूकोज मीटर के साथ किया जाता है जोकि बेहद आसान है, तो आइए आज हम आपको अपना शुगर लेवल मापने का सही समय और तरीका बता रहे हैं.
कब करें अपने ब्लड शुगर का परीक्षण?
आपके ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव आता ही रहता है. इसके लिए आप एक दिन में कई बार परीक्षण कर सकते हैं, लेकिन इसमें कितना अंतर होना चाहिए इस बारे में आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है. फिर आपकी हेल्थ के आधार पर, आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि आपको इसे कितनी बार करना चाहिए. आप दिन में इन समयों पर ब्लड शुगर की जांच कर सकते हैं-
-खाने और नाश्ते से पहले
-एक्सरसाइज करने से पहले और बाद में
-रात को सोने से पहले
एक हेल्थ रिसर्च के अनुसार, आपका सामान्य ब्लड शुगर लेवल होना चाहिए-
-खाना खाने से पहले आपका ब्लड शुगर लेवल 80 से 130 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम / डीएल) या फिर 4.4 से 7.2 मिलीमोल प्रति लीटर (मिएमओएल / एल) होना चाहिए.
-खाना खाने के 2 घंटे बाद आपका ब्लड शुगर 180 मिलीग्राम / डीएल (10.0 मिएमओएल / एल) से कम होना चाहिए.
-ब्लड शुगर का सही परीक्षण कैसे करना चाहिए, जानें दिशा-निर्देश
-इससे पहले अपने हाथ धोकर उन्हें ठीक से सूखा लें.
-अपनी मशीन के मीटर में एक परीक्षण पट्टी को रखें.
-अपने लांसिंग डिवाइस (टेस्ट किट के साथ मिलने वाली सुई) की सहायता से खून की एक बूंद पाने के लिए अपनी उंगलियों के किनारे पर चुभायें.
-खून की बूंद के लिए परीक्षण पट्टी के किनारे को स्पर्श करके दबाए रखें.
-इसके बाद स्क्रीन पर परिणाम दिखने के लिए मीटर की कुछ सेकंड प्रतीक्षा करें.खुद से ब्लड शुगर जांचने के जोखिम
खुद से ब्लड शुगर जांचने के वैसे तो कई लाभ हैं मगर सबसे बड़ा फायदे यह है कि ये काफी आसान और सुविधाजनक है. हालांकि इसके कुछ जोखिम भी हैं जैसे-
-आपके हाथ पर कई जगह छेद हो जाना.
-ज्यादा खून का बहना.
-बेहोशी जैसा या सिर का हल्का महसूस होना.
-आपकी त्वचा के नीचे खून इकट्ठा हो सकता है.
-संक्रमण.
डॉक्टर क्या कहते हैं
यशोदरा सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित छाबरा का कहना है कि खाली पेट का शुगर 90 से 110 के बीच में होना चाहिए और खाना खाने के 2 घंटे बाद का शुगर 140 या 150 से कम होना चाहिए. Hba1c जो कि 3 महीने का शुगर का मापक है , उसकी वैल्यू सात प्रतिशत से कम होनी चाहिए. कुछ मरीजों जिन्हे ह्रदय रोग और किडनी रोग अथवा जो मरीज डायलिसिस पर हैं hba1c सात और आठ के बीच में रखते हैं. ग्लूकोमीटर के कई फायदे हैं, खाली पेट की शुगर और भरे पेट 2 घंटे बाद की शुगर 10 से 15 दिन में 1 बार करना उचित रहता है. अगर मरीज इंसुलिन लेता है तब इंसुलिन के हिसाब से ब्लड शुगर की चार्टिंग की जाती है. जो लोग इंसुलिन पर नहीं हैं उन्हें रोज या एक हफ्ते से पहले शुगर चेक करने की जरूरत नहीं रहती है. इस सिलसिले में अपने शुगर के डॉक्टर से समय-समय पर मिलते रहे.
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