Squint Effects: अक्सर छोटे-छोटे बच्चों की आंखों में भैंगापन (Squint) यानी कि टेढ़ापन हो जाने की समस्या दिखती है. इस समस्या में बच्चे देख किसी तरफ रहे होते हैं लेकिन सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि वे दूसरी तरफ देख रहे हैं. कई बार यह दिक्कत बड़ी उम्र के लोगों में भी देखने को मिलती है. आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी हर एक जानकारी और इसका उचित इलाज..

 

भैंगापन क्या होता है

बच्चों की आंखों में भैंगापन या टेढ़ापन या हो जाने की समस्या को मेडिकल साइंस की भाषा में स्ट्रैबिस्मस (Strabismus) कहा जाता है. कई बार इसमें मामूली सा ही अंतर दिखाई देता है लेकिन असल में इससे चेहरा काफी हद तक बदल जाता है. कई मामलों में तो आंखों की रोशनी भी इफेक्ट होती है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर इस समस्या का सही समय पर इलाज कराया जाए तो फिर यह जल्द ठीक भी हो सकती है. 

 

बच्चों की आंखों में क्यों होता है भैंगापन

जन्मजात समस्या- जन्म के साथ ही बच्चे को यह समस्या हो जाना.

हेरिडिटरी- जन्म से पहले ही परिवार में किसी को भैंगापन की समस्या होना.

चोट लगने से- किसी तरह की चोट लगने या बीमारी से भी भैंगापन हो जाता है.

 

भैंगापन का इलाज

ग्लास या चश्मा 

आंखों पर सही नाप का चश्मा लगाने से भैंगेपन की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसके लिए किसी डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चों को चश्मा पहना सकते हैं.

 

बोटुलिज्म टॉक्सिन इंजेक्शन या बोटॉक्स

बोटुलिज्म टॉक्सिन इंजेक्शन या बोटॉक्स इंजेक्शन को आंखों की ऊपरी सतह पर किसी सबसे मुफीद मांसपेशी के जरिए डाला जाता है. भैंगापन हो जाने के किसी विशेष कारण की पहचान न हो पाने की स्थिति में अक्सर डॉक्टर इस तरीके का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं.

 

विजन थेरेपी

दिमाग और आंखों के बीच का को-ऑर्डिनेशन और मसल कंट्रोल को बेहतर बनाने के लिए विजन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. इससे आंखों का फोकल सुधारने में मदद भी मिलती है. किसी भी तरह के इलाज का तरीका काम न करने की स्थिति में ही डॉक्टर सर्जरी की तरफ बढ़ते हैं.

 

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