FND And FHMD : 19 साल की एमी लुईस फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (FND)  और फंक्शनल हाइपरकिनेटिक मूवमेंट डिसऑर्डर (FHMD) है. हाल ही में सर्दी की वजह से उसे उल्टी की समस्या हुई और वह अचानक से चलने-फइरने लायक ही नहीं बची है. इससे पहले वह काफी हेल्दी और फिट थी. लेकिन अक्टूबर 2022 में 17 साल की उम्र में अचानक झटके और शारीरिक मरोड़ का अनुभव हुआ था.


अब पता चला है कि वह  FND और FHMD से जूझ रही है, जो बेहद दुर्लभ है. इससे उसे कई तरह की समस्याएं हो रही हैं. यहां जानिए एफएनडी और एफएचएमडी कितनी खतरनाक बीमारी है और एमी लुईस को क्या-क्या दिक्कतें हुईं.




डिसऑर्डर से क्या-क्या प्रॉब्लम्स




फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर(एफएनडी) एक ऐसी कंडीशन है, जो ब्रेन की जानकारी भेजने और पाने की क्षमता को प्रभावित करती है. इसका असर शरीर के बाकी हिस्सों पर भी पड़ता है. वहीं, फंक्शनल हाइपरकिनेटिक मूवमेंट डिसऑर्डर (एफएचएमडी) जो  अनचाही एक्टिविटीज का कारण बनता है. इन दोनों ही डिसऑर्डर की वजह से एमी लुईस को ब्रेन फॉग, मांसपेशियों में ऐंठन, टिक्स और कंपकंपी के साथ-साथ हर दिन दौरे पड़ने की समस्या होने लगी.


कई-कई बार दिन में कई तरह की परेशानियां भी होती थी. एमी की फैमिली बताती है कि जब 2022 में उसे पहली बार ये समस्या हुई तो उन्हें लगा कि उसे ठंड लग रही है लेकिन आज हालत ये है कि उनकी बच्ची को व्हीलचेयर की मदद लेनी पड़ती है. वह सही तरह बोल भी नहीं पाती है.




न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से कैसे बचें




फंक्शनल डिसऑर्डर के मरीजों के इलाज में डॉक्टर किसी तरह की  हड़बड़ी न दिखाते हुए पहले पूरी जांच करवाने की सलाह देते हैं. अगर किसी मरीज में सिरदर्द या लकवा जैसी समस्या हो या फिर हाथ-पैर सुन्न हो गए हैं तो सीटी स्कैन कराएं, सीने में दर्द होने पर ईसीजी, मिर्गी का झटका आने पर ईईजी और पैर नहीं उठने पर एनसीवी कराना चाहिए. इसके बाद ही इलाज आगे बढ़ सकता है.


एक्सपर्ट्स का कहना है कि फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पूरी दुनिया के लोग जूझ रहे हैं लेकिन अमेरिका में इनकी संख्या काफी ज्यादा है. जब किसी के मन में किसी तरह की इच्छा दबी होती है लेकिन किसी मजबूरी की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाती है तो उसमें ये बीमारी हो सकती है.




फंक्शनल डिसऑर्डर का रहस्यमयी प्रतिरूप मास हिस्टीरिया




हाइपरकाइनेटिक मूवमेंट डिसऑर्डर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो अक्सर अन्य न्यूरोलॉजिकल और नॉन-न्यूरोलॉजिकल लक्षणों से जुड़े होते हैं. इसके अलावा, कुछ स्थितियां एक विशिष्ट कारण की ओर इशारा करती हैं..  जैसे एंटी-एलजीआई, एन्सेफलाइटिस में फेसियोब्रैकियल डिस्टोनिक दौरे.


यही कारण है कि सबएक्यूट ऑनसेट के मूवमेंट डिसऑर्डर वाले मरीजों में हमेशा ऑटोइम्यून वर्क-अप और ब्रेन MRI करवाना चाहिए. इसके बाद डॉक्टर इलाज को आगे बढ़ा सकते हैं. इसके अलावा लाइफस्टाइल पर बेहतर बनाने पर फोकस करना चाहिए.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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