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Sushmita Sen Heart Attack: हार्ट अटैक से निपटने के लिए हुई एंजियोप्लास्टी, कब की जाती है, कितना आता है खर्च?

सुष्मिता सेन को हार्ट अटैक आने के बाद एंजियोप्लास्टी की गई. हार्ट अटैक के बाद आमतौर पर होने वाली यह प्रक्रिया है. यह तकनीक थोड़ी खर्चीली होती है, मगर जीवनदायिनी का काम करती है.

Heart Attack Symptoms: वर्ष 2022 में हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के कारण कई सितारों की जान चली गई. कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज को तो हार्ट अटैक उस समय आया, जब वह एक्सरसाइज कर रहे थे. ऐसे में सवाल यही उठा कि खुद को हमेशा फिट रखने वाले सितारों का दिल कैसे कमजोर होता गया. हाल में बॉलीवुड अभिनेत्री और मिस यूनीवर्स सुष्मिता सेन को हार्ट अटैक आया है. सोशल मीडिया पर उन्होंने इस दर्द से उबरने की कहानी को साझा किया है. वहीं, हार्ट में एंजियोप्लास्टी की मदद से स्टेंट डाले जाने की जानकारी भी दी है. अब ये जानने की जरूरत है कि हार्ट अटैक के समय एंजियोप्लास्टी इतनी क्यों जरूरी है. स्टेंट क्या है? और क्या इसे बिना स्टेंट पूरा नहीं किया जा सकता है?

क्यों आता है हार्टअटैक

हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इंफार्क्शन भी कहा जाता है. जब कोरोनरी आर्टरी सिकुड़ने लगती हैं तो दिल की मांसपेशियों को उचित मात्रा में ब्लड नहीं मिल पाता है. दिल को ब्लड आपूर्ति होने में जितना अधिक समय लगता है. उतनी ही दिल की मांसपेशियों को नुकसान होता है. ब्लड न मिलने के कारण दिल काम करना बंद करने लगता है. यही हार्ट अटैक होता है. 

फिर होती है एंजियोप्लास्टी

एंजियोप्लास्टी कोरोनी आर्टरी में आई रुकावट को खोलने की एक प्रक्रिया है. जब चर्बी या अन्य वजह से कोरोनरी आर्टरी बंद हो जाती है तो ब्लॉक हो चुकी ब्लड वेसेल्स को इसी प्रोसेजर के जरिए खोला जाता है. इसमें ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है. इस प्रक्रिया में कैथेटर यानी एक लंबी, पतली ट्यूब को रक्त वाहिका में डाला जाता है और ब्लॉक हो चुकी धमनी की ओर इसे ले जाते हैं. कैथेटर की टिप पर एक छोटा-सा गुब्बारा होता है, जो ब्लॉक हो चुकी धमनी तक पहुंचने पर फूल जाता है. यही गुब्बारा प्लाक या ब्लड क्लॉट को बाहर की ओर धकेलता है. इससे बंद धमनी खुल जाती है और हार्ट को फिर से ब्लड सप्लाई होने लगता है. एक्सरे के जरिए सटीक ब्लॉकेज का पता लगा लिया जाता है. दोबारा ब्लॉकेज न बने, इसके लिए स्टेंट डाल दिया जाता है. 

क्या होता है स्टेंट

स्टेंट एक छोटी सी डिवाइस होती है. यह उस जगह को खोलने का काम करती है, जहां कोरोनरी आर्टरी बेहद सिकुड़ गई थी. दरअसल बेड कॉलेस्ट्रॉल जमा होने के कारण ऐसी स्थिति बन जाती है. कोरोनरी आर्टरी सिकुड़ने वाली जगह पर गुब्बारे की मदद से स्टेंट नामक डिवाइस को लगा दिया जाता है. इससे ब्लड प्रवाह बना रहता है. 

स्टेंट न डालें तो परेशानी क्या है?

कुछ मरीजों की बिना स्टेंट के भी एजिंयोप्लास्टी कर दी जाती है. डॉक्टरों का कहना है कि स्टेंट डालने का फायदा यह होता है कि यह कोरोनरी आर्टरी को फुलाए रखती है. वह जल्दी से सिकुड़ नहीं पाती हैं. बिना स्टेंट वाली ब्लड वेसेल्स का दोबारा जल्दी सिकुड़ने का खतरा रहता है. मरीज की जान पर खतरा बना रहता है. 

कितना आता है खर्च

स्टेंट के खर्चें अस्पताल के हिसाब से तय होते हैं. यदि महंगा अस्पताल है तो महंगा स्टेेंट ही डाला जाता है. मसलन, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 20 से 30 हजार के बीच में स्टेंट डाल दिए जाते हैं. यदि प्राइवेट अस्पतालों की बात करें तो कुछ अस्पतालों में 2 से 3 लाख, जबकि कुछ अस्पतालों में 3 से 5 लाख रुपये तक का भी खर्चा आता है. 

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