Heart Health: लाइफस्टाइल खराब होने की वजह से हार्ट डिजीज होना बेहद कॉमन है. पिछले 2 साल में जिम में एक्सरसाइज करते हुए कई सेलिब्रिटीज की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है. धमनियों में ब्लॉकेज है या दिल पर अधिक दबाव पढ़ रहा है तो हार्ट सिग्नल देता है. समय रहते उन सिग्नल को समझने की जरूरत है. आज विश्व हृदय दिवस है. आइए जानते हैं, उन 10 टेस्ट के बारे में जिन्हें समय रहते करा लिया जाए तो जिंदगी बच सकती है.
ECG
ईसीजी यानि इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम, इस टेस्ट में दिल की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया जाता है. इसमें बॉडी की स्किन पर इलेक्ट्रोड लगा दिए जाते हैं. यह इलेक्ट्रोड उन इलेक्ट्रिक सिग्नल की जांच करने की कोशिश करते हैं, जो दिल हर सेकेंड पर देता है.
MRI
MRI को मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग कहा जाता है. इस तकनीक का इस्तेमाल सॉफ्ट टिश्यू या नॉन बोनी पार्ट्स की जांच के लिए यूज किया जाता है. यह एक गोलाकार मशीन होती है. इसमें स्ट्रांग मैग्नेटिक यानि चुंबकीय क्षेत्र होता है. यह बॉडी में मौजूद हाइड्रोजन प्रोटोन की जांच करता है. इससे निकलने वाली रेडियो वेव्ज प्रोटोन्स को छेड़ती हैं. प्रोटोन अपनी पोजीशन से बाहर निकलते हैं. जैसे ही वे दोबारा अपनी प्रॉपर पोजीशन में आते हैं तो वह भी रेडियो सिगनल भेजना शुरू कर देते हैं. वहां पर लगा कंप्यूटर सिग्नल लेता है और उसे एक पिक्चर में तब्दील कर देता है. इसी से हार्ट की सही पोजीशन की जानकारी हो जाती है.
कोरोनरी एंजियोग्राम
यह भी दिल की जांच के लिए होता है. इस टेस्ट में हर्ट की ब्लड वेसल्स यानी रक्त वाहिनियों की जांच की जाती है. इसका मुख्य कार्य यह देखना है कि ब्लड के फ्लो में कहीं ब्लॉकेज तो नहीं हो गया है.
एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट(ट्रेडमिल टेस्ट)
यह टेस्ट यह पता करने की कोशिश करता है कि दिल किस तरीके से काम करता है. स्ट्रेस टेस्ट में मरीज को ट्रेडमिल पर चलाया जाता है. इससे दिल पर काम करने का दबाव बढ़ जाता है. इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम, मॉनिटर व्यक्ति की बॉडी पर लगा दिया जाता है. डॉक्टर ब्लड प्रेशर और मॉनिटर को देखते रहते हैं और यह देखते हैं कि कहीं व्यक्ति को थकान या सीने में कोई दर्द महसूस तो नहीं हो रहा है. यदि ब्लड प्रेशर हार्ट रेट या ईसीजी में कुछ भी गड़बड़ आ रही है तो व्यक्ति को ट्रीटमेंट लेने को कहा जाता है.
ब्लड टेस्ट
यह एक साधारण टेस्ट है. इसमें हाई कोलेस्ट्रॉल, प्लाज्मा नेचुरेटिक पेप्टाइड, ट्रोफोनिन, हाई सेंसटिविटी सी- रिएक्टिव प्रोटीन की जांच की जाती है.
कोरोनरी कम्प्यूटिड टोमोग्राफी एंजियोग्राम
यह एक 3D इमेजिंग टेस्ट है. यह दिल की थ्री डी इमेज दिखाने की कोशिश करता है. हार्ट की नसें कहीं सिकुड़ तो नहीं रही हैं। इसी से हार्ट की एक इमेज तैयार की जाती है, जिससे उसकी ब्लड सप्लाई और नसों के बारे में जानकारी हो जाती है.
अल्ट्रासाउंड टेस्ट
इस टेस्ट में दिल की बनावट की जांच की जाती है. यह हार्ट की तरह के कॉम्प्लिकेशंस की जांच भी करता है. इनमें कार्डियोमायोपैथी और वाल्व डिसीज शामिल है.
न्यूक्लियर कार्डिएक स्ट्रेस टेस्ट
इस जांच में रेडियोएक्टिव एलीमेंट का प्रयोग किया जाता है. इसमें देखा जाता है कि दिल में ब्लड किस तरह से फ्लो हो रहा है. उसकी एक इमेज तैयार की जाती है. यह व्यक्ति के आराम करने के दौरान और कुछ एक्टिविटी करने के दौरान किया जाता है. इसमें देखा जाता है कि ब्लड फ्लो बहुत खराब है तो इससे दिल को नुकसान होने की संभावना तो नहीं है.
टिल्ट टेस्ट
इस टेस्ट में व्यक्ति को बेल्ट से बांधकर सीधा लिटा दिया जाता है और ईसीजी मशीन व ब्लड प्रेशर मॉनिटर जांच के लिए लगा दिया जाता है जिस बेड पर व्यक्ति लेटा हुआ होता है. उसपर दिल की एक्टिविटीज रिकॉर्ड की जाती है. इसमें ब्लड प्रेशर का अचानक गिरना, दिल की धड़कनों का सही नहीं होना, हार्ट प्रॉब्लम, हार्ट अटैक और कार्डियोमायोपैथी की जांच होती है.
ये भी पढ़ें :
Hypertension: 8 वजहों से बढ़ रहा ब्लड प्रेशर, इन अंगों को कर सकता है डैमेज
Protein: ये प्रोटीन नहीं पच रहा तो गेहूं की रोटी भी बिगाड़ देगी सेहत, फिर खाएं क्या