Heart problem: ऐसा कई बार होता है. बीमारी कुछ और होती है. व्यक्ति इलाज कुछ और करा रहा होता है. इसका नतीजा यह होता है कि पेशेंट ठीक नहीं हो पाता. पैसा खर्च होता है और लगातार तबियत बिगड़ती जाती है. ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां डॉक्टर पेशेंट को टीबी का मर्ज समझ रहे थे. लेकिन जब गहनता से जांच की गई तो बीमारी कुछ ही निकली. डॉक्टरों के इलाज के बाद मरीज ठीक हो गया है. लेकिन इस मामले को देखकर खुद डॉक्टर हैरान हैं. उन्होंने इलाज के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी है. 


समझा टीबी, निकली दिल की बीमारी


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय से डायबिटीज से पीड़ित 55 वर्षीय श्रीकांत पवार को सांस की तकलीफ और सीने में दर्द के लिए कुछ महीने पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने सीने के दर्द और सांस की तकलीफ को टीबी माना. उसी के आधार पर इलाज शुरू कर दिया गया. लेकिन उन्हें आराम नहीं मिला. डॉक्टरों ने इसे दोबारा जांच में टीबी के बजाय कुछ और परेशानी मानते हुए जांच शुरू की. जांच में सामने आया कि हाइ कोलेस्ट्रॉल के स्तर ने उनके लसीका द्रव हार्ट के चारों ओर रिस रहा था. इससे हार्ट सिकुड़ रहा था. उनका दम घुटने लगना था. 


हो गया था पेरिकार्डियल इफ्यूजन 


इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि ये बेहद रेयर केस था. इसका इलाज करना ही चुनौती थी. दरअसल, यह परेशानी पेरिकार्डियल इफ्यूजन थी. इस कंडीशन में हार्ट के चारों ओर एक लिक्विड जमा हो जाता है. आमतौर पर यह स्थिति टीबी पेशेंट में देखने को मिलती है. अन्य कारणों में वायरल संक्रमण, अन्य संक्रमण, लिम्फोमा जैसे ब्लड कैंसर, उस स्थान पर कैंसर का प्रसार (मेटास्टेसिस) और कुछ ऑटोइम्यून रोग की वजह से भी हो सकते हैं. इसकी जांच के लिए 2डी इको किया, तब भी पेरिकार्डियल स्पेस में कापफी लिक्विड जमा हुआ था. यहां अधिक स्पेस नहीं होता है, इसलिए लिक्विड हार्ट पर बहुत अधिक दबाव डालने लगता है. हार्ट के प्रॉपर काम न करने के कारण ब्लड प्रेशर कम होता गया. इससे पेशेंट बेहोश हो गया. मरीज के ब्रेन में ब्लड सप्लाई कम हुई तो कार्डियक टैम्पोनैड की स्थिति बन गई. 


इस तरह ठीक किया पेशेंट


डॉक्टरों ने पाया कि कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत अधिक है. ऐसे में स्थिति और गंभीर हो गई थी. कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने के लिए खानपान का ख्याल रखा. सर्जरी व अन्य उपायों से दिल के आसपास जमे लिक्विड को निकाला गया. मरीज ने भी अपना वजन कम करना जारी रखा. करीब 15 किलोग्राम वजन घटा लिया. धीरे धीरे मरीज की स्थिति ठीक होती गई. करीब डेढ़ महीने बाद डिस्चार्ज कर दिया गया. 


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