Heart Disease: भारत के 66 प्रतिशत लोगों को इस वजह से दिल के रोगों का है खतरा, रिपोर्ट में खुलासा
होमोसिस्टीन अमीनो एसिड है. इसका नार्मल लेवल बॉडी के लिए सही रहता है. लेकिन यह हाई हो जाए तो हार्ट के लिए बेहद खतरनाक है. इससे हार्ट अटैक आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
Heart Attack Symptoms: पिछले कुछ सालों से देश ही नहीं दुनिया में हार्ट रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. वर्ष 2022 में कई सेलिब्रिटीज की जान हार्ट अटैक आने से चली गई थी. वर्ष 2023 मेें भी कापफी संख्या में लोगों की जान हार्ट अटैक से जा चुकी हैं. इसके अलावा देश मेें हार्ट रोगियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. हार्ट पेशेंट की संख्या हेल्थ एक्सपर्ट भी परेशान हैं. डॉक्टरों का कहना है कि लोगोें को हार्ट रोगोें से बचना है तो अपनी लाइफ स्टाइल सुधारनी होगी. इससे दिल की सेहत काफी हद तक तंदरुस्त हो सकती है.
66 प्रतिशत लोगों को इस वजह से खतरा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, tata 1mg लैब्स की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में 66 प्रतिशत से अधिक लोगों के रक्त प्रवाह में होमोसिस्टीन का लेवल सामान्य से बहुत अधिक है. होमोसिस्टीन का लेवल बढ़ने के कारण हार्ट बेहद संेसटिव हो जाता है. होमोसिस्टीन का बढ़ना अक्सर फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 की पोषण संबंधी कमी के कारण होता है. इसे या तो पूरक आहार या फलों, सब्जियों और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से भरपूर आहार से ठीक किया जा सकता है.
क्या होता है होमोसिस्टीन
होमोसिस्टीन एक एमिनो एसिड है. होमोसिस्टीन का उच्च स्तर विटामिन बी -12 (कोबालामिन), विटामिन बी -6 (पाइरिडोक्सिन) और विटामिन बी-9 (फोलिक एसिड, फोलेट) जैसे प्रमुख विटामिनों की कमी को बताता है. एक वयक्ति में होमोसिस्टीन की सामान्य सीमा 5 से 15 माइक्रोमोल प्रति लीटर (एमसीएमओएल/एल) होनी चाहिए है. होमोसिस्टीन 50 या उससे अधिक होता है तो बेहद खतरनाक हो जाता है. इससे दिल की धमनियों को गंभीर नुकसान हो सकता है. होमोसिस्टम के हाई लेवल को हाइपरहोमोसिस्टीनमिया कहा जाता है.
क्या हो जाता है हाइपरहोमोसिस्टीनमिया
हाइपरहोमोसिस्टीनमिया होने के कुछ कारक भी हैं. इसके होने के पीछे कुछ कारक जिम्मेदार होते हैं. थायराइड हार्माेन स्तर, सोरायसिस, गुर्दे की बीमारी, आनुवंशिकी और कुछ प्रकार की दवाएं से भी ये परेशानी हो सकती है.
ये लक्षण दिखें तो जांच कराएं
होमोसिस्टीन जांच की आवश्यकता तब होती है. जब किसी व्यक्ति में विटामिन बी की कमी से संबंधित लक्षण दिखाई देते हैं. इसके लक्षणों की बात करें तो कमजोरी आना, चक्कर आना, मुंह में छाले, पैरों, हाथों और हाथों में झुनझुनी, त्वचा का पीला पड़ना, सांस लेने में तकलीफ और मूड में बदलाव शामिल है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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