न्यूयार्क: हेल्थ रिकार्ड की मोटी-मोटी फाइलों को संभाल कर रखना अपने आप में कोई कम सिरदर्दी का काम नहीं है लेकिन अब जल्द ही आपके इलैक्ट्रोनिक हेल्थ रिकार्ड का ऐसा पासवर्ड मिलने जा रहा है जिसे आपको याद करने की जरूरत नहीं होगी. क्योंकि अब मरीज के दिल की धड़कन ही उसके इलैक्ट्रोनिक हेल्थ रिकार्ड का पासवर्ड होगी.

क्‍यों जरूरत पड़ी इस रिकॉर्ड की-

अमेरिका में बिंगहैम्प्टन यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर झेनपेंग जिन कहते हैं कि पारंपरिक रूप से पासवर्ड को याद रखना मरीजों के लिए काफी पेचीदा और खर्चीला होता है और इससे वे सीधे तौर पर टेलीमेडिसिन या मोबाइल हेल्थ केयर सुविधाओं का फायदा नहीं उठा पाते .

कैसे बना ये पासवर्ड-

उन्होंने बताया कि पुरानी व्यवस्थाओं के स्थान पर धीरे-धीरे नयी व्यवस्था आ रही है और हम चाहते थे कि बीमार व्यक्ति के स्वास्थ्य रिकार्ड को सुरक्षित रखने के लिए कोई अनूठा समाधान मिल सके जो सरल, सहज उपलब्ध और सस्ता हो.

अब वैज्ञानिकों ने किसी व्यक्ति के विशिष्ट इलैक्ट्रोकार्डियोग्राफ 'ईसीजी' डाटा का इस्तेमाल करते हुए उसकी हेल्थ फाइल को लॉक या अनलॉक करने के लिए उसकी दिल की धड़कनों को चाबी के रूप में इस्तेमाल करने का तरीका ढूंढ निकाला है.

कैसे काम करेगा इलैक्ट्रोनिक हेल्थ रिकार्ड

उन्होंने बताया कि ईसीजी संकेतों को क्लिनिकल डायगनोसिस के लिए एकत्र करते हुए इन्हें इलैक्ट्रोनिक हेल्थ रिकार्ड तक एक नेटवर्क के जरिए भेजा जाता है . हमने सूझबूझ से ईसीजी संकेतों को डाटा लेखन के लिए इस्तेमाल किया है . इस रणनीति के जरिए मरीज की सुरक्षा और निजता अधिक मजबूत होगी और यह प्रक्रिया सस्ती भी होगी. इस प्रक्रिया में मरीज के हेल्थ रिकार्ड तक पहुंचने के लिए उसके दिल की धड़कन ही पासवर्ड होगी.

जिन बताते हैं कि यह शोध अगली पीढ़ी को सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने में काफी मददगार साबित होगा. शोधकर्ता ईसीजी में होने वाले बदलावों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं.