गर्मी की वजह से भी हो जाती है एलर्जी, समझ लीजिए हीट इंफेक्शन के लक्षण और बचने के तरीके
भारत के नॉर्थ एरिया में लोग भीषण गर्मी से काफी ज्यादा परेशान है. इस मौसम में गले में दर्द, सूजन, खराश, खांसी, सर्दी जैसे इंफेक्शन काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं.
ऐसे तो पूरे देश में लोगों का गर्मी से हाल बेहाल है लेकिन खासकर भारत के नॉर्थ एरिया में लोग भीषण गर्मी से काफी ज्यादा परेशान है. हीट वेव के कारण चेहरा बिल्कुल झुलस सा जाता है. वहीं स्किन एलर्जी, गले में इंफेक्शन,खांसी-जुकाम की समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है. इस मौसम में गले में दर्द, सूजन, खराश, खांसी, सर्दी जैसे इंफेक्शन काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. कई बार यह दूसरी बीमारियों के कारण भी हो सकते हैं लेकिन यह सब समस्या हीट वेव का कारण होना लाजमी है.
इस मौसम में थोड़ी सी भी लापरवाही आपको गंभीर रूप से बीमार और परेशान कर सकती है. अब सवाल यह उठका है कि इससे कैसे बचा जाए. इस आर्टिकल के जरिए हम विस्तार से बताएंगे इससे बचने का तरीका
इस मौसम में गले में कई तरह के इंफेक्शन हो सकते हैं:
गले में इंफेक्शन
इस मौसम में अक्सर गले में इंफेक्शन की समस्या होती है. क्योंकि धूप में जब शरीर गर्म हो जाता है. और ऐसी स्थिति में पानी पीने से सर्द-गर्म की संभावना बढ़ जाती है. नॉर्मल कोल्ड-कफ, मोनोन्यूक्लिओसिस जैसे वायरस हो सकते हैं. यह ऐसी फ्लू या कोल्ड-कफ होती है जो आमतौर पर खुद ठीक हो जाते हैं.
बैक्टीरियल थ्रोट इन्फेक्शन
बैक्टीरियल थ्रोट इंफेक्शन बैक्टीरिया के कारण होते हैं. स्ट्रेप्टोकोकस पाइोजेन्स या समूह ए स्ट्रेप्टोकोकस सबसे आम कारण है. इस तरह के इंफेक्शन अक्सर स्ट्रेप थ्रोट में होते हैं. स्ट्रेप थ्रोट में एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत पड़ती है.
फंगल इंफेक्शन
जिन लोगों की इम्युनिटी काफी ज्यादा कमजोर होती है. उन्हें फंगल इंफेक्शन का खतरा काफी ज्यादा रहता है. जैसे- ओरल थ्रश, कैंडिडा फंगस.
एलर्जिक थ्रोट इन्फेक्शन
कभी-कभी एलर्जी, गले में जलन और इंफेक्शन जैसे गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं. बार-बार छींक आना, नाक बहना और आंखों में खुजली और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती है.
इर्रिटेन्ट थ्रोट इन्फेक्शन
जो लोग काफी ज्यादा सिगरेट पीते हैं, प्रदूषण और केमिकल धुएं के कारण अक्सर लोगों के गले में इंफेक्शन, जलन और सूजन की समस्याएं हो जाती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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