Helicopter Parenting: पेरेंटिंग, पालना पोसना, परवरिश तीन अलग-अलग शब्द है लेकिन इसका माने मतलब एक ही है. कहने को तो यह पेरेंटिंग तब शुरू होती है जब बच्चा पैदा होता है लेकिन असल में यह पेरेंटिंग तो मां के गर्भ से ही शुरू हो जाती है. हर माता-पिता अपने बच्चे की परवरिश खूब अच्छी तरह करना चाहते हैं. उसे चलना,सिखाना, खाना खिलाना, बिहेव करना और हर मुश्किल में खड़े रहना यह सब पेरेंटिंग ही है. कई माता-पिता अपने बच्चों को लेकर काफी प्रोटेक्टिव रहते हैं. कहीं मेरा बच्चा गलत संगत में तो नहीं, कहीं वो पढ़ाई कर रहा है या नहीं, कहीं झूठ तो नहीं बोलता ऐसी कई बातें हैं जो मां बाप करते हैं, उनकी ये फ़िक्र कभी-कभी बहुत अलग स्तर पर चली जाती है.


केयर करना फिक्र करना और बार-बार बच्चों को नसीहत करना एक अच्छे पेरेंट्स की निशानी है लेकिन कभी कभी माता पिता बच्चों की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा दखल देने लगते हैं. इसे ही हम हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कहते हैं. हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल डॉ हेम गिनोट की 1969 की बुक पेरेंट्स एंड टीनएजर्स में किया गया था. इसका साफ मतलब यह है कि हेलीकॉप्टर की तरह बच्चों के सिर पर हर वक्त मंडराना, ना आजादी देना , ना स्पेस देना. ऐसा करना उसे अच्छी परवरिश देने की बजाय उसे नुकसान पहुंचा सकता है.


ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि ऐसा रिसर्च कहती है.बहुत सारे पेरेंट्स को लगता है कि ऐसे स्ट्रिक्ट होकर पेरेंटिंग करने से बच्चे सुधर जाएंगे, लेकिन ये इसके उलट काम करता है.ऐसे में बच्चे जिद्दी हो सकते हैं, आपसे बात बात पर बहस करेंगे.अब मां बाप है तो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित तो रहेंगे . और यहीं से शुरू हो जाती है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग. कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों के विकास और उनके फ्यूचर को लेकर इतने ज्यादा उतावले रहते हैं कि बच्चों के मन की बात जाने बिना खुद से ही उस काम में लग जाते हैं.




हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण



  • बच्चों के भविष्य की अधिक चिंता के कारण

  • कॉलेज और एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के चलते

  •  बच्चों को मनचाहा कॉलेज मिले इसलिए

  •  बच्चा कोई गलत संगति में ना पड़े इसलिए


हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के नुकसान



  • इससे बच्चे के विकास पर असर पड़ता है. यानी बच्चे स्किल डेवलप नहीं कर पाते हैं. हेलीकॉप्टर पेंटिंग में मां बाप बच्चों की हर समस्या में खुद को लगा लेते हैं ऐसे में बच्चे को कभी वक्त ही नहीं मिलता कि वह उस समस्या को खुद से सॉल्व करें.

  • ऐसे बच्चों को माता-पिता की आदत पड़ जाती है और वह कोई भी फैसला खुद से आगे जाकर नहीं ले पाते हैं.बच्चे अपनी वकालत करने में सक्षम नहीं रहते, ऐसे में कई बार वो सबसे पीछे रह जाते हैं

  • कई बार हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के दौरान बच्चों के मन में माता-पिता के प्रति खराब विचार पैदा हो सकती हैं. बच्चों को ऐसा फील होने लगता है कि उनके माता-पिता ने उन्हें कैद करके रखा है.

  • बच्चे जिम्मेदारियों से पीछे भागने लगते हैं, क्यों कि उन्होंने कभी खुद से कोई काम ही नहीं किया होता,डिपेंडेंसी बढ़ जाती है