Hepatitis C दवा से होगी मलेरिया की छुट्टी, शोधकर्ताओं को मिला इस बीमारी का इलाज
जेएनयू के शोधकर्ताओं को मलेरिया के इलाज की दवा मिल चुकी है. लंबे समय से इस पर शोध किया जा रहा था जिसमें आखिरकार शोधकर्ताओं को सफलता मिली है. इस दवाई से मलेरिया के रोगियों को बचाया जा सकता है.
भारत में हर साल मलेरिया की वजह से कई लोग मरते हैं. मलेरिया एनोफ़िलेज़ मादा मच्छर के काटने से होता है. ये मच्छर बरसाती मौसम में ज्यादा होते हैं. मलेरिया में व्यक्ति को बुखार, सर दर्द, उल्टी की समस्या होती है. यह बीमारी वैसे ज्यादातर सहारा अफ्रीका और एशिया के ज्यादातर देशों में पाई जाती है. भारत में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले ओडिशा से सामने आते हैं. इसके बाद शिलांग और त्रिपुरा के आदिवासी बेल्ट में भी इस बीमारी के ज्यादातर केस दर्ज किए जाते हैं. मलेरिया भी अलग-अलग प्रकार का होता है और इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं.
इस बीच जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के मॉलिक्यूलर मेडिसन स्पेशल सेंटर के वैज्ञानिकों ने मलेरिया के इलाज की दवा ढूंढ ली है. दरअसल, वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि हेपिटाइटिस सी को रोकने वाली दवा एलीस्पोरिविर (Alisporivir) को मलेरिया के दवा प्रतिरोधी स्ट्रेन के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है. बता दें प्लाज्मोडियम प्रजाति के परजीवी मलेरिया का कारण बनते हैं. ये भी अलग-अलग प्रजाति के होते हैं. लेकिन, केवल 5 ही ऐसी प्रजाति है जो इंसानों को संक्रमित करती है. इसमें प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लास्मोडियम विवैक्स, प्लास्मोडियम ओवाले, प्लास्मोडियम मलेरिया और प्लास्मोडियम नोलेसी है.
लक्षण
मलेरिया में व्यक्ति को बुखार, सर दर्द होना, उल्टी, मन मचलना, चक्कर आना, ठंड लगना, थकान होना, पेट दर्द आदि की समस्या होती है
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया सबसे घातक
वैज्ञानिकों के अनुसार, प्लाज्मोडियम की सभी 5 प्रजातियों में से प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम की वजह से होने वाला मलेरिया अभी भी सबसे घातक रोग बना हुआ है. इस रिसर्च से जुड़ी शोधकर्ताओं में से एक प्रोफेसर शैलजा सिंह ने बताया कि मलेरिया को काबू करने और इसके रोकथाम में एलीस्पोरिविर दवा कारगर है और इसके प्रीक्लिनिकल ट्रायल भी सफल हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस दवा को आगे अन्य ट्रायल के भेजा जाएगा और ये दवा मलेरिया से लोगों की जान बचाने में कारगर साबित होगी.
एलीस्पोरिविर दरअसल, साइक्लोस्पोरिन ए का एक गैर-प्रतिरक्षादमनकारी (non-immunosuppressive) एनालॉग है जो एंटीवायरल गुणों के साथ साइक्लोफिलिन्स की गतिविधियों को रोकता है. इस रिसर्च में कहा गया कि एलीस्पोरिविर को मुंह के रास्ते लेने पर यह मानव शरीर को निशाना बनाने वाले साइक्लोफिलिन पर निशाना साता है जिससे हेपेटोसाइट्स में हेपेटाइटिस सी वायरस की ग्रोथ कम हो जाती है.
आईसीएमआर के अनुसार, भारत में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले ओडिशा से सामने आते हैं. वही, त्रिपुरा और शिलांग के आदिवासी बेल्ट में सोडियम विवैक्स (P. Vivax) मलेरिया के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए जाते हैं. हालांकि ये मलेरिया जानलेवा नहीं होता लेकिन, इसका इंफेक्शन गंभीर होता है. प्रोफेसर शैलजा सिंह ने बताया कि यदि इसका इलाज समय पर न किया जाए तो ये बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.
मॉस्क्युरिक्स है दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन
एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 290 मिलियन लोग मलेरिया से संक्रमित होते हैं और 4 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी की वजह से अपनी जान गवा देते हैं. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने 2021 में मलेरिया के खिलाफ दुनिया के पहले टीके मॉस्क्युरिक्स की सिफारिश की थी. यह मलेरिया के खिलाफ पहला टीका है जिसने क्लीनिकल ट्रायल पास कर लिए हैं और इसे नियामक संस्था यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी से पॉजिटिव रिस्पांस मिला है.
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