क्यों होठ के पास बार-बार हो जाती है ये हर्पीज... जान लीजिए ये क्यों होता है और इसका इलाज क्या है?
हर्पीज शरीर के किसी भी जगह हो सकती है. लेकिन ज्यादातर यह बीमारी मुंह के आसपास और चेहरे पर होती है. इनके लक्षणों को पहचान करके कैसे कर सकते हैं बचाव?
हर्पीज की बीमारी सिंप्लेक्स वायरस के कारण होता है. जिसे एचएसवी भी कहा जाता है. एक वायरल इंफेक्शन आपके मुंह और जेनाइटल एरिया में भी हो सकता है. इसे एक गंभीर बीमारी तो नहीं बोल सकते लेकिन इसे दर्दनाक समस्या तो कह सकते हैं. इस वायरस के साथ एक सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अगर यह एक बार हो जाए तो यह धीरे-धीरे शरीर में फैलने लगता है. हर्पीज दो तरह से प्रभावित करता है. पहला ये ओरल हिस्सों में जैसे- मुंह के आसपास, आंख, चेहरे, होंठ पर हो सकता है. दूसरा यह जेनाइटल एरिया में हो सकता है. हर्पीज के लक्षण एक तरह के दिखाई नहीं दिए हैं. ये हाथों या उंगलियों और आपके शरीर के अन्य हिस्सों पर भी दिखाई दे सकते हैं. हर्पीज को लोग शर्मिंदगी से भी जोड़कर देखते हैं लेकिन ऐसा करना बिल्कुल गलत है.
क्या कहती है WHO की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक साल 2016 में 50 साल से कम उम्र के लगभग 67 प्रतिशत आबादी ओरल और जेनाइटल हर्पीज HSV-1 से पीड़िते थे. 2016 में 15 से 49 वर्ष के बीच के लगभग 13 प्रतिशत लोग HSV-2 हर्पीज से पीड़ित थे. और भी दूसरे रिसर्च बताते हैं कि 50 साल की उम्र वाले 90 प्रतिश से अधिक व्यस्कों में HSV-1 एंटीबॉडी होते हैं. विशेषज्ञों को अभी तक दाद का इलाज नहीं मिला है, लेकिन एंटीवायरल और घरेलू उपचार की मदद से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.
HSV-1 और HSV-2 के बीच के अंतर
HSV-1: इसमें यह दाद, घाव मुंह या उसके आसपास के एरिया में होता है. बुखार आने के बाद घाव या फफोले होते हैं. उसके बाद यह धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं.
HSV-2 :यह मुख्य रूप से जेनाइटल दाद का कारण बनता है, इसमें होने वाले घाव जेनाइटल एरिया के किसी भी पार्ट में हो सकती है.
HSV के फैलने के कारण क्या हो सकते हैं?
अगर किसी व्यक्ति को यह हार्पीज वायरल है और आप उसके सीधे संपर्क में आते हैं. तो आपको यह बीमारी होने का पूरा चांसेस है. जैसे आप इस बीमारी सी पीड़ित इंसान को किस कर लें. या उसके यूज किए ब्यूटी प्रोड्क्टस का आप इस्तेमाल करें. तो ऐसे में यह बीमारी आपको होने के भी पूरे आसार है. इस बीमारी से पीड़ित इंसान के लिप बाम, रेज़र, या पीने के बर्तन और खाने के बर्तनों का आप इस्तेमाल करेंगे तो ऐसे में आप सीधा वायरस से संपर्क में आते हैं. और फिर यह बीमारी आप पर भी हमला कर सकती है.
एचएसवी-2
HSV-1 की तरह HSV-2 के भी फैलने के कारण यही होते हैं. जब आप इससे पीड़ित किसी इंसान के सीधा संपर्क में आते हैं.
एचएसवी लक्षण
इसके सबसे पहला लक्षण है शरीर में घाव या फफोले होंगे और उसमें तेज खुजली होगी. जिसे एक समय के बाद बर्दाश्त करना मुश्किल है.
एचएसवी 2 में जेनाइटल इंफेक्शन होने का खतरना रहता है. उसके आसपास के एरिया में घाव और टॉयलेट करते वक्त तेज जलन और दर्द भी हो सकता है.
प्राइमरी एचएसवी लक्षण
शुरुआती लक्षण में आपके चेहरे, मुंह या हाथ-पैर पर फफोले या घाव निकलते हैं लेकिन यह कुछ दिन के अंदर खत्म होने के बजाय कई दिनों तक पूरी तरह ठीक नहीं होते हैं. उन घाव में तेज खुजली होती है.
एचएसवी के घाव में दर्द, खुजली भी हो सकते हैं.
शरीर में झुनझुनी भी हो सकती है. मुंह के पास घाव आने के बाद आपको बुखार भी आ सकता है.
बीमारी के लक्षण
घाव- शरीर में यह इंफेक्शन होते ही चेहरे पर दाने होने लगते हैं. औऱ वह धीरे-धीरे घाव का रूप ले लेते हैं. खासतौर पर यह मुंह के आसपास घाव बनने का खतरा होता है. इन घाव में से पानी और मवाद भी निकलने लगते हैं. और यह जल्दी ठीक भी नहीं होता है.
बुखार- चेहरे और मुंह पर घाव के कारण शरीर में दर्द शुरू हो जाता है. साथ ही हाई फिवर हो जाता है. हर्पीज के इंफेक्शन के बाद बैचने भी हो सकती है.
हर्पीज के मरीज को हमेशा इन चीजों से परहेज करना चाहिए
ठंडे पानी से न नहाएं
घाव या फफोले को बार-बार न धोएं. उसे सुखा रहने दे
ज्यादा ऑयली न खाएं
ढीला कपड़ा पहनें
बार-बार घाव न छूएं
आइस से सिकाई करें
घाव या फफोले पर क्रीम या लोशन रेगुलर लगाते रहें.
हर्पीज में डाइट का खास ख्याल रखें
हर्पीज से बचना है तो आपको अपने डाइट का खास ख्याल रखना है. इसके लिए आपको अंकुरित चने और फूलगोभी को अपने डाइट में रेगुलर शामिल करना होगा.
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