HMPV Virus: चीन में तेजी से फैल रहे HMPV वायरस के भारत में भी कई मामले सामने आए हैं. इसे लेकर देशभर में पैनिक जैसा माहौल है, हालांकि तमाम हेल्थ एजेंसियां लगातार ये बात कह रही हैं कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. आपको कुछ सावधानियां बरतनी होंगी और इससे छुटकारा पाया जा सकता है. इसी को लेकर हमने जेजे हॉस्पिटल की डॉक्टर पल्लवी सापले से बीतचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि ये वायरस कोई नया नहीं है और ये एक मौसमी बीमारी है. इसीलिए किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है.
चीन का नहीं है ये वायरस
डॉक्टर ने बताया कि भारत में 2002-03 से एचएमपीवी वायरस मौजूद है. 2022-23 में पुणे में 13 प्रतिशत बच्चे एचएमपीवी वायरस के संक्रमण की चपेट में आए. ये वायरस सिर्फ चीन का नहीं है, भारत समेत तमाम देशों में कई सालों से इसके मामले आते रहे हैं. इस वायरस से डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि एचएमपीवी वायरस मूल रूप से चीन का नहीं है, कोरोना वायरस एक नया वायरस था इसलिए इसे नोवल कोरोना वायरस कहा गया.
डॉक्टर ने बताया कि पिछले साल ही पुणे के केईएम अस्पताल की एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि 13% बच्चे एचएमटीवी वायरस की चपेट में आ गए हैं. यह वायरस दुनिया में हर जगह है, हर देश में है, जब तक कोई बच्चा पांच साल का होता है, तब तक हर कोई इसके संपर्क में आ चुका होता है. साथ ही इसके लिए इम्यूनिटी भी विकसित हो चुकी होती है.
कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर असर
काली खांसी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन इसकी उत्पत्ति चीन में नहीं हुई और इसकी मृत्यु दर बहुत कम है, यह केवल कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर असर करती है. यह बीमारी वयस्कों को भी प्रभावित कर सकती है, लेकिन ज्यादातर मामले बच्चों में पाए जाते हैं. यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन दिक्कत केवल कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में ही होंगी.
कोरोना और HMPV में क्या अंतर है?
कोरोना में दिक्ततें काफी ज्यादा थीं, वेंटिलेटर पर जाने वाले मरीजों की दर भी ज्यादा थी, लोग तेजी से इसकी चपेट में आए और पूरा हेल्थ सिस्टम डगमगा गया. ये एक लंबे समय तक चलने वाली महामारी थी. वहीं एचएमपीवी संक्रामक है, लेकिन सर्दी बुखार खांसी ही इसका एकमात्र लक्षण है. जिन्हें बहुत तकलीफ होती है उन्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए. लेकिन इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर एचएमपीवी से संक्रमित हैं तो घर पर ही रहें.
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