2001 में पहली बार पकड़ में आया था HMPV, दो दशक बाद भी क्यों नहीं बन पाई वैक्सीन?
दुनिया के लिए या भारत के लिए यह कोई नई वायरस नहीं है बल्कि इसकी खोज साल 2001 में ही हो चुकी थी. लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि 24 साल के बाद भी अब तक इस बीमारी की वैक्सीन नहीं बन पाई है.
चीन में एचएमपीवी (HMPV) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अबतक भारत में भी इसके 5 मामले सामने आ चुके हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि भारत में जिन लोगों को यह वायरस अपना शिकार बना रही है तो उनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री रही होगी? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. दुनिया के लिए या भारत के लिए यह कोई नई वायरस नहीं है बल्कि इसकी खोज साल 2001 में ही हो चुकी थी. लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि 24 साल के बाद भी अब तक इस बीमारी की वैक्सीन नहीं बन पाई है. आइए जानें इस बीमारी और इसके वैक्सीन के बारे में सबकुछ.
24 साल बात भी क्यों नहीं HMPV की वैक्सीन
चीन में HMPV वायरस के प्रकोप के बाद भारत में सोमवार के दिन यानी 6 जनवरी तक इसे पांच केसेस मिले हैं. लेकिन इसी बीच एक और चिंता जताई जा रही है कि कहीं यह कोविड की तरह महामारी का रूप न ले लें. HMPV की खोज पहली बार साल 2001 में हुई थी. 24 साल पहले पता लगने के बावजूद अब तक इसकी वैक्सीन नहीं बनी है. कर्नाटक चिकित्सा शिक्षा निदेशालय की न्यू गाइ़डलाइन में कहा गया है कि HMPV के लिए कोई स्पेशल एंटीवायरल इलाज या टीका नहीं है. क्यों ये नॉर्मल कोल्ड-कफ की तरह इसके लक्षण होते हैं.
चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (चीन CDC) ने यह भी उल्लेख किया है कि वर्तमान में HMPV के खिलाफ कोई टीका या दवा असरदार नहीं है. इस बीमारी के लक्षण भी पर्सन टू पर्सन अलग-अलग होते हैं. चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार डच विद्वानों ने पहली बार 2001 में नासॉफिरिन्जियल एस्पिरेट नमूनों में HMPV की खोज की थी. इस बीमारी के शुरुआती लक्षण सांस से जुड़ी बीमारी, बच्चों के गले के ऊपरी हिस्से में जमा बलगम या कफ जमा होना.
भारत के इन राज्यों में फैल चुका है HMPV
कोरोना वायरस की तरह यह भी फ्लू महीने भर में 5 देशों में फैल चुका है.चीन से लगे पड़ोसी देश में यह तेजी से फैल रही है. भारत में अब तक इसके 6 केसेस सामने आ चुके हैं. कर्नाटक से 2, गुजरात से 1 और कोलकाता से 1, और चेन्नई से 2 मामले सामने आए हैं. इसके लक्षण काफी ज्यादा कोरोना से मिलते हैं.
'स्वस्थ्य बच्चों को खतरा कम'
डॉक्टर नीरव पटेल ने आगे कहा कि लगभग पांच दिनों तक वेंटिलेटर में के बाद उसकी हालत में काफी सुधार आया है. अभी बच्चा डिसचार्ज के लायक हो गया है. दरअसल वह नवजात बच्चा था और उसके लंग्स में पहले से समस्या थी. इसलिए यह बच्चा इससे प्रभावित हुआ था. हालांकि जो स्वस्थ्य बच्चे होंगे उन्हें कोई इंफ्क्शन हो जाए तो कोई घबराने की जरूरत नहीं है.
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'बुजुर्गों- बच्चों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत'
वहीं एम्स के पूर्व डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा "इसमें खतरे वाली बात नहीं है. यह कोई नया वारयरस नहीं हैं. हालांकि इससे बुजुर्गों और बच्चों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि इनमें इम्युनिटी कम होती है और उनको इंफेक्शन जल्दी हो जाता है. सर्दियों में इसके मामले ज्यादा आते हैं. क्योंकि ये वायरस हवा में काफी लंबे समय के लिए रहता है और फैल सकता है इसलिए सर्दियों में लोगों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है.यदि सर्दी- खांसी रहे तो थोड़ी दूरी बनाए रखें. साथ ही यदि बच्चों को बुखार नजला है तो पेरेंट्स उसको स्कूल ना भेजें. "
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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