इस सुपरस्टार को हुई गंभीर बीमारी जिसका पूरी दुनिया में इलाज नहीं, जानें इसके लक्षण
Frontotemporal Dementia हॉलीवुड के दिग्गज कलाकार ब्रूस विलिस फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया से पीड़ित हो गए है,इस बीमारी की वजह से उनके बोलने की भी क्षमता खत्म हो रही है.
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Frontotemporal Dementia: दुनिया भर में एक से बढ़कर एक दुर्लभ बीमारी है जिनमें से कुछ का इलाज वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है तो कुछ अभी भी लाइलाज है. ऐसी ही एक किस्म की बीमारी से पीड़ित हैं हॉलीवुड के दिग्गज कलाकार ब्रूस विलिस. ब्रूस विलिस फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया से पीड़ित हो गए है, एक्टर की उम्र 67 साल है,इस बीमारी की वजह से उनके बोलने की भी क्षमता खत्म हो रही है. यही वजह है कि उन्होंने अब फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली है. ब्रूस विलिस के परिवार ने स्टेटमेंट जारी करते हुए इस बीमारी की जानकारी दी है. अब सवाल ये है कि आखिर फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया ऐसी कौन सी समस्या है जिसकी वजह से हेल्दी और फिट इंसान भी प्रभावित हो सकता है आइए जानते हैं इसके बारे में.
क्या है फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया?
फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया शुरुआती डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है. एफटीडी दिमाग से जुड़े विकारों में शामिल है जो दिमाग के फ्रंटल और टेंपोरल लोब को प्रभावित करता है.इस स्थिति में दिमाग के क्षेत्र के हिस्से में सिकुड़न आने लगती है.फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया आमतौर पर 40 और 65 की उम्र के बीच शुरू होती है. इस बीमारी से पीड़ित कई लोगों के व्यक्तित्व और स्वभाव में भी बदलाव आने लगता है यहां तक का भी उनका व्यवहार सामाजिक रूप से भी खराब हो जाता है. कई लोग तो सही तरीके से बोलने की भी क्षमता खो बैठते हैं.विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति के होने के पीछे जेनेटिक म्यूटेशन और पारिवारिक इतिहास प्रमुख कारण हो सकते हैं. एफटीडी वाले 30 से 50 प्रतिशत रोगियों में डिमेंशिया के साथ कम से कम एक रिश्तेदार होता है.
फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया के लक्षण
फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया किस वजह से होता है इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है हालांकि इसके लक्षण की बात करें तो इसमें स्वभाव बदलना, पसीना आना ,यौन संबंध बनाने में दिलचस्पी बढ़ना, हाइजीन को लेकर सतर्कता कम होना, यहां तक कि लोग निर्णय भी नहीं ले पाते हैं. रोज के कामों में रुचि खत्म हो जाती है, ऊर्जा की कमी हो जाती है, बोलने की क्षमता खत्म हो जाती है, चलने फिरने में कठिनाई होती है, बार-बार मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन बना रहता है.अक्सर इस बीमारी को लेकर लोग अनजान रहते हैं मरीज के परिवार वाले को ऐसा लगता है कि रोगी अवसाद से गुजर रहा है और वो उसे इलाज के लिए मनोरोग उपचार के लिए भेज देते हैं बीमारी का गलत इलाज मिलना गंभीर समस्या पैदा कर सकता है. इस
नहीं है इस बीमारी का कोई भी इलाज
जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के मुताबिक अभी तक की इसका कोई इलाज नहीं है, हालांकि लक्षणों को देखते हुए दवाएं लिखी जा सकती है.ऑब्सेसिव कम्पलसिव बर्ताव को कंट्रोल में रख सकते हैं, थेरेपी की मदद से स्पीच में सुधार किया जा सकता है.एंटी डिप्रेसेंट चिड़चिड़ापन, चिंता से जुड़े लक्षणों में मददगार साबित हो सकते हैं.फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया वाले लोगों को अपने संबंधित डॉक्टरों के साथ नियमित संपर्क में रहने के अलावा शारीरिक व्यायाम करना चाहिए, पहेलियों को सुलझाना चाहिए और रोजाना अच्छी नींद लेनी चाहिए.
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