नई दिल्ली: दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों की जान बचाने के लिए पहले 60 मिनट जान बचाने के लिहाज से जरूरी होते हैं, जबकि दिल और दिमाग के दौरे में सिर्फ 4 मिनट का समय होता है. ऐसे में अब होम्योपैथिक डॉक्टर भी इमरजेंसी के मरीजों की जान बचा सकेंगे.
होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सक अब मरीजों को एलोपैथिक दवाएं भी लिख सकते हैं. नीति आयोग की सिफारिशों के अनुसार केंद्र सरकार ने सभी आयुष डॉक्टरों के लिए एक ब्रिज कोर्स की घोषणा की है. इस कोर्स को करने के बाद भारतीय चिकित्सा पद्धति के तहत आने वाले होम्योपैथिक चिकित्सक मरीजों को एलोपैथिक दवाएं लिख सकेंगे. होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने केंद्र सरकार की इस पहल का समर्थन किया है. उनका मानना है कि इससे गरीब और महंगे अस्पताल में इलाज कराने से वंचित लोगों को फायदा मिलेगा.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक में ब्रिज कोर्स प्रस्तावित है. विधेयक पारित होने पर होम्योपैथिक और आयुवेर्दिक चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाएं लिखने करने का अधिकार मिल जाएगा. चिकित्सकों ने इसे मोदी केयर के तहत इसे केंद्र सरकार की उल्लेखनीय उपलब्धि माना है.
एनएमसी की महाराष्ट्र की कोर मेंबर डॉ. सुरेखा ने कहा कि केंद्र सरकार के एनएमसी बिल में प्रस्तावित ब्रिज कोर्स से गरीबों और सुख सुविधाओं से विहीन लोगों को फायदा होगा. इससे भारतीय आबादी को दी जानी वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार आएगा.
होम्योपैथिक चिकित्सक पिछले 35 साल से इसकी मांग कर रहे थे. देश भर की होम्योपैथिक डॉक्टरों के प्रतिनिधि इस बिल के एजेंडा के तहत आ गए और उन्होंने केंद्र सरकार की सिफारिशों के प्रति आभार जताने के लिए कोर कमिटी बनाई है. केंद्र सरकार का यह विधेयक गरीबों, दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों, जहां एलोपैथिक दवा की सुविधा उपलब्ध नही है, जहां मरीजों को एलोपैथिक डॉक्टरों के पास जाने के पैसे नहीं है, को खास सुविधा उपलब्ध कराएगा.
हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है.