आजकल की मॉर्डन कल्चर और लाइफस्टाइल में अगर आप इलाज के लिए 'होम्योपैथिक' चुने तो कोई फटाक से कह देगा कि पक्का ये आदमी कंजूस है. ये अपनी हेल्थ नहीं बल्कि पैसे बचा रहा है. लेकिन आज भी भारत में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें होम्योपैथिक पर दिल से विश्वास है. और उनका मानना है कि इस दवा से भी बीमारी जड़ से ठीक हो सकती है और वह भी बिना किसी खतरनाक साइडइफेक्ट्स के बिना. आजकल ऐसी मानसिकता बन गई है कि एलोपैथिक बेस्ट है. थोड़ा पैसा ज्यादा लगे लेकिन इंसान तुरंत ठीक हो जाता है. ऐसा है भी जिंदगी इतनी भागदौड़ और भागम-भाग से भरी हुई है कि जैसे ही हल्का बुखार या सर्दी हुआ लोग फटाक से बैग से एक टैबलेट निकलाते हैं और अगले दिन एकदम ठीक.  ऐसे में हमारी संस्कृति से होम्योपैथी या आयुर्वेद कहीं पीछे छुटती जा रही है. 


होम्योपैथी पर लोगों को विश्नास क्यों नहीं है?


लोग होम्योपैथिक से ज्यादा एलोपैथिक पर ज्यादा विश्वास करते हैं. क्योंकि होम्योपैथिक में वक्त लगता है और एलोपैथिक में कम वक्त में बीमारी को छूमंतर कर देता है.  अगर आपने किसी को बोल भी दिया कि आप होम्योपैथिक के जरिए इलाज करवा लीजिए तो वह एक ही बात कहेंगे इतना वक्त नहीं है और पता नहीं असर करेगा या नहीं? यह सवाल तो सच में दिमाग में कई बार आता है कि होम्योपैथिक दवा असर करेगा कि नहीं? बीमारी ठीक हो जाएगी या नहीं. ठीक होने में कितना वक्त लगेगा?


आज इस आर्टिकल में हम आपको होम्योपैथिक दवा को काम करने में कितना समय लगता है. होम्योपैथिक दवा कैसे असर करती है. होम्योपैथिक दवा कितने दिन बाद असर करती है. इत्यादि होम्योपैथिक दवा से जुड़े सभी प्रकार के सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे. दिल्ली स्थित होम्योपैथिक के मशहूर डॉक्टर संजय ठाकुर से हमने इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश की.  


डॉक्टर संजय ठाकुर बताते हैं कि होम्योपैथिक दवा किस तरह से असर करेगी यह पूरी तरह निर्भर करता है आपकी बीमारी क्या है? होम्योपैथी की भाषा में बीमारियों को दो भागों में बांटा गया है. पहला एक्यूट और दूसरा क्रोनिक. एक्यूट बीमारी के अंतर्गत सर्दी-खांसी, जुकाम आते हैं. इन बीमारियों में अगर आप होम्योपैथी की दवा लेते हैं तो इसका असर आपको 1 से 2 दिन के अंदर दिखने लगेगा. वहीं क्रोनिक बीमारी यानि पुरानी बीमारी जैसे-लिवर, किडनी, आंत, गठिया जैसी ऐसी बीमारी जो सालों से आपको परेशान कर रही है. ऐसी बीमारी पर होम्योपैथिक का असर दिखने में 8-10 महीने का वक्त लग जाता है.


डॉक्टर संजय ठाकुर बताते हैं कि होम्योपैथिक दवाई की सबसे खास बात यह है कि यह बीमारी को दबाने का काम नहीं करती है बल्कि यह उसका जड़ से खत्म करने का काम करती है. वहीं एलोपैथिक की दवा बीमारी को खत्म नहीं करती बल्कि वो कुछ देर के लिए उसे दबा देती है. साथ ही डॉक्टर ने यह भी बताया कि होम्योपैथिक में जब किसी बीमारी में दवा दी जाती है तो बीमारी के लक्षणों के आधार पर दी जाती है. बीमारी के लक्षणों के आधार पर ही दवा के डोज दिए जाते हैं. 


क्या होम्योपैथिक खाली पेट ले सकते है?


होम्योपैथ के मुताबिक होम्योपैथिक दवाई खाली पेट ही लेना चाहिए. इससे आपको इसका असर तुरंत दिखाई देगा. दवा लेने से पहले आपको कुछ नहीं खाना चाहिए. होम्योपैथिक एक्सपर्ट बताते हैं कि आप किसी भी बीमारी को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक दवा ले रहे हैं तो आपको इसे लेने से एक घंटा पहले और लेने के एक घंटा बाद कुछ भी न खाएं. चाहते हैं कि दवा का असर कुछ दिनों में दिखे तो आपको यह नियम को अपनाना होगा. 


होम्योपैथिक दवा कुछ अलग से शरीर पर काम करती है


मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति खुजली के लिए होम्योपैथिक की दवा खा रहे है तो उसे पहले दवा देकर बढ़ाया जाएगा. और फिर इसे जड़ से खत्म किया जाएगा. इस बारे में डॉक्टर बताते हैं कि होम्योपैथिक की प्रकृति कुछ ऐसी होती है कि यह बीमारी को जड़ से खत्म करती है. जिसकी वजह से इसके इलाज में वक्त लगता है. साथ ही जब यह बीमारी को ठीक करती है तो उस दौरान इसे साइड इफेक्ट्स शरीर पर दिख सकते हैं. 


आम बीमारी में होम्योपैथी कितने दिन में असर दिखाती है?


होम्योपैथी एक्सपर्ट के मुताबिक आम बीमारी में होम्योपैथी की दवा का असर 2-3 दिन में दिखने लगता है.साथ ही इसके खुराक पर भी ध्यान दें. 


होम्योपैथिक दवा के साइडइफेक्ट्स होते हैं क्या?


गंभीर और बड़ी बीमारी में होम्योपैथिक दवा लेने की सलाह तो नहीं दी जाती है. लेकिन कुछ ऐसी बीमारी जिसमें आपके पास अच्छा खासा वक्त है तो अक्सर लोग कहते हैं कि होम्योपैथी दवा ही लेना चाहिए. क्योंकि इससे होने वाले नुकसान न के बराबर होते हैं. साइड इफेक्ट्स के केसेस भी कम देखने को मिलते हैं. 


होम्योपैथिक दवा क्या है


होम्योपैथी एक खास तरह कि चिकित्सा प्रणाली है जो इस विश्वास पर आधारित है कि शरीर स्वयं को ठीक कर सकता है. इसे 1700 के अंत में जर्मनी में विकसित किया गया था. यह कई यूरोपीय देशों में आम है, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में यह उतना लोकप्रिय नहीं है.


होम्योपैथी की दवा में क्या वाकई अल्कोहल होता है? क्या इससे नशा हो जाता है


 होम्योपैथिक दवाएं बनाने के लिए उसमें नैचुरल चीजों को इकट्ठा किया जाता है. साथ ही इसमें पानी और एल्कोहल का भी इस्तेमाल किया जाता है. अब आप सोचेंगे एल्कोहल से मिलाने से दवा खाने के बाद नशा भी होता है क्या. तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. एल्कोहल कम मात्रा में मिलाया जाता है. जिसे नशा नहीं होता बल्कि यह दवा को डाइल्यूट करने के लिए इसमें मिलाया जाता है.  कुछ होम्योपैथिक दवाएं पेनिसिलिन और एस्पिरिन से भी बनाई जाती है. 


होम्योपैथिक दवा एटॉमिक लेवल या मोलेकूलर लेवल और डायनामाइजेशन और पोटेंटाइजेशन के जरिए भी पर काम करती हैं. होम्योपैथिक दवाइयां जब भी बनती है तब किसी भी पोधे से उसका एक्सट्रैक्ट निकाल के बनाई जाती है. इसका मतलब है किसी पौधे से  उस का रस निकाला जाता है और एक प्रकार से उसके जूस को सिरम की तरह बना लिया जाता है और उस से मदर टिनक्चर बना लिया जाता है. फिर उस मदर टिंक्चर से 1 प्रतिशत ले लिया जाता है और 99% प्रतिशत को एल्कोहल से डाइल्यूट किया जाता है. उसके बाद इसके दवाई में एक थ्योरी काम करती है वह है पोटेंटाइजेशन. पोटेंटाइजेशन मदद से सक्शन किया जाता है. यही प्रोसेस करके डाइल्यूशन बना लिया जाता है. अब इस डाइल्यूजन को  दवाइयों को मरीजों को दिया जाता है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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