आयुर्वेदिक डॉक्टर्स और वैद्य जी से जिस भी व्यक्ति ने अपना उपचार कराया है, उसे अनुभव होगा कि कैसे आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स पेशंट्स की जीभ (Tongue)देखकर उसकी सेहत का हाल जान लेते हैं. अगर आपको ये अनुभव है तो आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर इन्हें जीभ देखकर क्या पता चलता है? हमें तो कुछ नजर नहीं आता! तो आइए, आज आपको जानकारी देते हैं कि आखिर वैद्य जी आपकी जीभ देखकर रोग की जड़ कैसे जान लेते हैं...
क्या देखते हैं डॉक्टर्स?
- आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स आपकी जीभ देखते समय उसका रंग देखते हैं. इससे इन्हें यह पता चलता है कि आपके शरीर में कौन-सा दोष बढ़ा हुआ है और उसी के अनुसार ये आपके रोग की गंभीरता को देखते हुए दवाएं देते हैं...
- जब आपकी जीभ का रंग हल्का पीला होता है, जीभ कटी-फटी और रूखी नजर आती है तो इसका अर्थ होता है कि आपके शरीर में वात दोष बढ़ा हुआ है.
- जब आपकी जीभ का रंग नीली रंगत या काली रंगत लिए हुए होता है और जीभ में रह-रहकर कड़वा स्वाद आ रहा होता है तो इसका अर्थ होता है कि आपके शरीर में पित्त बढ़ा हुआ है.
- जीभ का सफेद रंगत लिए हुए होना, वॉटरी और क्लीयर टंग होना इस बात का संकेत होता है कि आपके शरीर में कफ बढ़ा हुआ है.
- आयुर्वेद में वात-पित्त और कफ इन तीन दोषों के आधार पर ही रोगों का वर्गीकरण किया गया है. माना जाता है कि शरीर में किसी भी तरह की समस्या के लिए ये तीन दोष ही जिम्मेदार होते हैं.
अपनी जीभ को आप इस तरह समझें
अगर आप अपनी जीभ के माध्यम से अपनी सेहत को समझना चाहते हैं तो इस ट्रिक को अपना सकते हैं...
- आप हर दिन सुबह के समय ब्रश करने से पहले अपनी जीभ का फोटो लें. ऐसा आपको सिर्फ दो सप्ताह तक करना चाहिए. अगर आपको कोई भी असामान्यता दिखती है तो आप अपने वैद्य जी से बात कर सकते हैं.