What are Vata, Pitta, Cough Dosha: जब भी आप आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति पर आधारित हेल्थ न्यूज देखते या पढ़ते हैं तो आपको तीन शब्द अक्सर सुनने को मिलते हैं. ये हैं, वात-पित्त और कफ. जो लोग नियमित रूप से आयुर्वेद के संपर्क में रहते हैं, उन्हें तो इनका अर्थ और कारण पता है. लेकिन ज्यादातर लोग अभी भी इनसे अनजान हैं. कोरोना काल के बाद आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान काफी अधिक बढ़ा है और लोग अब फिर से अपनी बीमारियों का उपचार प्राकृतिक और हर्बल तरीके से कराना चाहते हैं.
आयुर्वेद एक पूरी तरह प्राकृतिक चिकित्सा पद्धिति है, जिसमें औषधियों और जड़ी-बूटियों से इलाज को प्राथमिकता दी जाती है. इसमें वात-पित्त और कफ पर सेहत को आधारित माना जाता है. इन तीनों का संतुलन अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होता है. यदि कोई एक भी गड़बड़ा जाए तो तबियत खराब हो जाती है. इन्हें आयुर्वेद में त्रिदोष कहा जाता है यानी तीन दोष.
क्यों असंतुलित हो जाते हैं वात-पित्त और कफ?
- इन तीन दोषों में असंतुलन दो कारणों से आ जाता है, प्राकृतिक और अप्राकृतिक. इनमें प्राकृतिक असंतुलन वो है, जिसमें मौसम और उम्र में बदलाव होने के कारण बीमारियां होती हैं. जबकि अप्राकृतिक वो है, जो गलत लाइफस्टाइल, गलत खान-पान या किसी संक्रामक रोग के कारण होता है.
- बचपन में कफ अधिक बढ़ा हुआ रहता है और सर्दी तथा बसंत ऋतु में यह बढ़ता है. जबकि युवावस्था में और गर्मी के मौसम में पित्त बढ़ता है. जबकि वात दोष बुढ़ापे में बढ़ा हुआ रहता है और यह पतझड़ ऋतु के दौरान भी बढ़ा हुआ रहता है. लेकिन यह प्राकृतिक बदलाव होता है और इनसे किसी तरह की बीमारी नहीं होती है.
वात बढ़ने पर क्या होता है?
जब शरीर में वात यानी वायु अधिक बढ़ जाती है तो कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. जैसे...
- लंबे समय तक अधिक तनाव
- अनियमित जीवनशैली
- नींद पूरी ना लेना
- वायु बढ़ाने वाले भोजन का अधिक सेवन
वात बढ़ने पर क्या होता है?
- जब शरीर में वायु की मात्रा अधिक बढ़ जाती है तो गैस अधिक बनती है.
- पेट फूलना या पेट में सूजन जैसी समस्या होती हैं
- शरीर में दर्द होना
- बेचैनी रहना
- नींद ना आना
- शरीर के किसी भी अंग में सुन्नता आना, इत्यादि.
पित्त दोष असंतुलन के लक्षण
शरीर के तापमान को बनाए रखने और भूख को नियंत्रित करने का काम पित्त ही करता है. पित्त असंतुलित होने पर पाचन की समस्या होने लगती है. अब सवाल यह भी उठता है कि पित्त संबंधी समस्याएं होती क्यों हैं? तो इसका सबसे सामान्य कारण है बहुत अधिक मसालेदार और तला हुआ भोजन खाना या फिर देर तक भूख बर्दाश्त करना. जो लोग अधिक समय तक धूप में रहते हैं, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है.
जब पित्त असंतुलित होने पर क्या होता है?
- बहुत अधिक गुस्सा आना
- मुंहासे निकलना
- शरीर में सूजन
- हॉट फ्लैशेज
- स्किन पर रैशेज
- सीने पर जलन
- खट्टी डकार आना
- मितली आना
- कम उम्र में बाल तेजी से सफेद होना
कफ बढ़ने पर क्या होता है?
- इमोशनल हेल्थ खराब होती है
- डिप्रेशन का स्तर बढ़ जाता है
- त्वचा पर खुजली होने लगती है
- बार-बार खांसी की समस्या
- जोड़ों में दर्द
- सूजन होना
- बलगम अधिक आना
- सीने में जकड़न, सिर में दर्द और चेहरे पर सूजन एक साथ होना. इत्यादि
क्यों होती है कफ बढ़ने की समस्या?
- बहुत अधिक सोना
- दिन में देर तक सोना
- ओवर इटिंग करना
- एक्सरसाइज कम करना
- बहुत अधिक मीठा खाना
- डीप फ्राइड भोजन का अधिक सेवन
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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