आजकल के भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल में अच्छी डाइट के साथ-साथ लाइफस्टाइल का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है. इन दिनों खराब लाइफस्टाइल की वजह से दिल से जुड़ी बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है. हाई बीपी, डायबिटीज या हार्ट से जुड़ी बीमारी को कंट्रोल में रखना है तो आपको अपने खानपान का खास ख्याल रखना होगा. कई बार लोगों के सीने में दर्द, सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं होती है तो उसे वह नॉर्मल समझकर अनदेखा कर देते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन छोटी-छोटी चीजों को नजरअंदाज करना आगे जाकर भारी पड़ सकता है. 


कैसे शुरू होती है हार्ट ब्लॉकेज की बीमारी


खराब खानपान और लाइफस्टाइल के कारण हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या अक्सर पैदा हो जाती है. हार्ट ब्लॉकेज की प्रॉब्लम में दिल की धड़कन कम होने लगती है. हार्ट हमारे शरीर में एक पंप की तरह काम करती है जो ब्लड को पंप करती है. जब  हार्ट ब्लॉकेज की समस्या शुरू होती है तो यह हार्ट के पंप करने का फंक्शन धीमा पड़ने लगता है. हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण शरीर पर साफ दिखाई देने लगते हैं अगर इसका इलाज नहीं किया गया. इसके कारण मरीज को कार्डियक अरेस्ट भी आ सकते हैं. कई मामलों में हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण होता है हार्ट ब्लॉकेज होना. ऐसे में सबसे जरूरी है कि सही वक्त पर हार्ट के ब्लॉकेज के लक्षणों को पहचानना ताकि इसका वक्त रहते इलाज किया जा सके. 


हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी के कारण होती है हार्ट में ब्लॉकेज


हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी आने के कारण हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या होती है. इसका पूरा असर शरीर के ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है.हार्ट ब्लॉकेज की समस्या को एट्रियोवेंट्रिकुलर ब्लॉक AV या कंडक्शन डिसऑर्डर भी कहा जाता है. हार्ट ब्लॉकेज की समस्या अगर किसी व्यक्ति को हो रही है तो उसके दिल की धड़कम कम हो जाती है. हार्ट ठीक से ब्लड को पंप नहीं कर पाता है. हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण दिखाने देने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. अगर इसे छोटी बात समझकर नजरअंदाज किया जाएगा तो यह आगे जाकर हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर का जोखिम बढ़ा सकता है. 


हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण कुछ ऐसे शरीर पर दिखाई देते हैं


होश, चक्कर आना और शरीर घूमना भी हार्ट ब्लॉकेज के शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं. 


काफी ज्यादा थकान और कमजोरी भी हार्ट ब्लॉकेज के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. 


सीने में दर्द (शुरुआत में हल्का दर्द लेकिन समय के साथ दर्द बढ़ना)


सांस लेने में परेशानी होना या तेजी से सांस चलना


दिल की धड़कन धीमा पड़ना


दौड़ने या एक्सरसाइज करने में परेशानी होना. तेजी से सांस चलना


मतली और उल्टी की प्रॉब्लम होना. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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