एचएमपीवी (HMPV) के लक्षण वयस्कों पर हल्की दिखाई देती है. हालांकि, यह बीमारी कुछ खास ग्रुपों के लोगों के लिए ज़्यादा जोखिम भरा हो सकता है. अब सवाल यह उठता है कि किन लोगों के लिए यह बीमारी ज्यादा परेशानी कर सकता है. दरअसल, बूढ़े, कमजोर इम्युनिटी और बच्चों को इस बीमारी से खास सावधान रहने की ज़रूरत है. इस आर्टिकल में हम विस्तार से बात करेंगे कि एचएमपीवी लोगों को कैसे प्रभावित करता है? साथ ही वह यह बताएंगे कि क्या इस बीमारी में एंटीबायोटिक दवा काम आएगी?


देश भर में बच्चों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के मामले सामने आए हैं. बेंगलुरु, अहमदाबाद, नागपुर, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में HMPV के मामले सामने आए हैं. यह वायरस ज़्यादातर वयस्कों में हल्की बीमारी का कारण बनता है. हालांकि, यह 5 साल से कम उम्र के बच्चों, 60 साल से ज़्यादा उम्र के वयस्कों और कमज़ोर इम्युनिटी वाले व्यक्तियों सहित कुछ कमज़ोर समूहों के लिए ज़्यादा जोखिम पैदा करता है. दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल के निदेशक पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल बताते हैं कि HMPV कमज़ोर समूहों को कैसे प्रभावित करता है और क्या एंटीबायोटिक्स इस बीमारी में काम करता है.


एचएमपीवी वायरस से बचने के लिए इन बातों का रखना है ध्यान


डॉ. मित्तल बताते हैं कि कर्नाटक में HMPV के हाल ही में सामने आए मामलों से संकेत मिलता है कि दोनों बच्चे ठीक हो रहे हैं. 3 महीने के बच्चे को पहले ही छुट्टी दे दी गई है. उनका कहना है कि उच्च जोखिम वाले समूहों में HMPV ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी गंभीर सांस की बीमारी का कारण बन सकता है. जिसके लिए ऑक्सीजन थेरेपी की ज़रूरत पड़ सकती है. इसके बावजूद, ज़्यादातर मरीज़, यहां तक कि उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में भी शामिल है. सहायक इलाज से ठीक हो जाते हैं. एचएमपीवी के लिए मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम है. जो इसे दूसरे सांस से जुड़ी बीमारी की तुलना में कम खतरनाक बनाता है. फिर भी चीन में प्रसारित होने वाले वर्तमान एचएमपीवी स्ट्रेन की विषाणुता और संक्रामकता का आकलन करने के लिए निरंतर निगरानी की आवश्यकता है. क्योंकि इसकी गंभीरता और संक्रामकता के बारे में डेटा सीमित है.


एंटीबायोटिक दवा इसलिए इस बीमारी में नहीं करती है काम


डॉ. मित्तल कहते हैं कि वर्तमान में एचएमपीवी के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है. एंटीबायोटिक्स इस वायरस के खिलाफ असरदार नहीं हैं, क्योंकि वे केवल जीवाणु संक्रमण वाली बीमारी को ठीक करते हैं.  हल्के मामलों में आमतौर पर आराम, ढेर सारा पानी पीना और लक्षणों से राहत के लिए ओवर-द-काउंटर दवाओं की आवश्यकता होती है.


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सीरियस कंडीशन में इलाज का यह तरीका अपनाया जाता है


हालांकि, गंभीर मामलों में विशेष रूप से ब्रोंकाइटिस या निमोनिया वाले लोगों में अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक हो सकता है.ऑक्सीजन सप्लीमेंटेशन, लिक्विड और श्वसन सहायता जैसी सहायक चिकित्सा आवश्यकतानुसार दी जा सकती है. एंटीबायोटिक्स केवल तभी निर्धारित किए जा सकते हैं जब वायरल बीमारी के साथ कोई द्वितीयक जीवाणु संक्रमण हो.


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सांस के मरीज इन बातों का रखें ख्याल


विशिष्ट एंटीवायरल दवाओं की कमी को देखते हुए, डॉ. मित्तल कहते हैं कि बाहर निकलें तो मास्क पहनने और साफ-सफाई का खास ख्याल रखें रखने जैसी रोकथाम रणनीतियों का सुझाव देते हैं.जबकि एचएमपीवी उच्च जोखिम वाले समूहों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, उचित सहायक देखभाल और निगरानी के साथ इसका समग्र जोखिम स्तर प्रबंधनीय रहता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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