मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो हाल ही में फिर से चर्चा में आया है. इस संक्रमण से बचाव के लिए मंकीपॉक्स वैक्सीन उपलब्ध है. लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद भी कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि इसका असर कितने दिन तक रहता है और क्या वैक्सीन के बाद भी दोबारा मंकीपॉक्स हो सकता है?


वैक्सीन का असर कितने समय तक रहता है?
मंकीपॉक्स वैक्सीन का असर कई महीनों से लेकर कुछ वर्षों तक रह सकता है. यह वैक्सीन शरीर को मंकीपॉक्स वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाने में मदद करती है, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. हालांकि, इस वैक्सीन की प्रभावशीलता समय के साथ घट सकती है, और इसलिए लंबे समय के बाद एक बूस्टर डोज की ज़रूरत हो सकती है. 


क्या दोबारा हो सकता है मंकीपॉक्स?
हालांकि वैक्सीन लगाने के बाद संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं होता. कुछ दुर्लभ मामलों में, मंकीपॉक्स वैक्सीन के बाद भी व्यक्ति को दोबारा संक्रमण हो सकता है, खासकर अगर वायरस के संपर्क में आने के बाद शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडीज़ नहीं बनी हों. इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर है, तो उसके लिए संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है।. 


वैक्सीन के बाद सावधानियां
वैक्सीन लगवाने के बाद भी कुछ सावधानियों का पालन करना जरूरी है। अपने आस-पास सफाई का ध्यान रखें, संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखें, और अगर कोई लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे आप न केवल खुद को, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी सुरक्षित रख सकते हैं. 


भारत में मंकीपॉक्स का वैक्सीन 
भारत में मंकीपॉक्स का वैक्सीन फिलहाल उपलब्ध नहीं है. हालांकि, मंकीपॉक्स से बचाव के लिए चेचक (स्मॉलपॉक्स) की वैक्सीन को प्रभावी माना जाता है, क्योंकि दोनों वायरस एक ही परिवार से संबंधित हैं. अगर मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते हैं, तो चेचक की वैक्सीन को एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. भारत सरकार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाएगी. 


मंकीपॉक्स का सबसे ज्यादा प्रसार 
वर्तमान में, मंकीपॉक्स के मामले सबसे ज्यादा अफ्रीका के पश्चिमी और मध्य हिस्सों में पाए जा रहे हैं, जैसे कि नाइजीरिया और कांगो. इसके अलावा, हाल ही में कुछ यूरोपीय देशों, अमेरिका, और अन्य क्षेत्रों में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. यह बीमारी व्यक्ति से व्यक्ति में संक्रमित त्वचा के संपर्क, शारीरिक तरल पदार्थ, और दूषित वस्तुओं के माध्यम से फैल सकती है. इसलिए, जिन देशों में यह बीमारी फैली है, वहां से यात्रा करने वाले लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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