कैसा महसूस होता है जब मौत नजदीक आती है? डॉक्टर ने 'डेथ एक्सपीरियंस' से जुड़े राज खोले
मौत एक सत्य है. वैज्ञानिक इस पर कुछ न कुछ रिसर्च करते रहते हैं. इस बार वैज्ञानिकों ने ये जानने की कोशिश की है कि जब मौत नजदीक आती है, तो क्या अनुभव होते हैं.
Near Death Experience: मौत जिंदगी का एक डरावना सच है. वो सच, जिससे एक न एक दिन हर किसी को रूबरू होना है. मरने वाले को कैसा महसूस होता है, ये तो वहीं जानता है जिसे मौत अपनी आगोश में लेती है. हालांकि कई बार ऐसा भी देखा गया है जब किसी को मौत नजदीक से छूकर गुजरी है या उसने लगभग ये मान लिया था कि अब सफर समाप्ति की ओर बढ़ चुका है. जिंदगी में किसी न किसी मोड़ पर कई लोगों को मौत अपने बिल्कुल करीब नजर आई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मरने वाले व्यक्ति को कैसा महसूस होता होगा? उसके मन में कैसे ख्याल और बातें आ रही होती हैं? आइए जानते हैं.
एक स्टडी में मौत से हाथ मिलाना कुछ लोगों के लिए भयानक अनुभव रहा, जबकि कुछ लोगों ने इस दौरान काफी शांति महसूस की. डॉक्टर्स ने कहा कि मौत से डरने की जरूरत नहीं है. जिन लोगों ने मौत को पास से अनुभव किया है, वे कहते हैं कि उन्होंने खुद को बहुत शांत पाया. डॉ अजमल जेमर ने समझाया कि यह समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि मौत के वक्त लोगों का मस्तिष्क और शरीर क्या कर रहा होता है. एक्सपर्ट ने पहले एक अध्ययन किया, जिसमें हार्ट अटैक से पीड़ित 87 साल के व्यक्ति के ब्रेन स्कैन को देखा गया था.
मौत के करीब होने पर बढ़ जाता है सेरोटोनिन?
एक्सपर्ट ने फ्रंटियर्स ऑफ एजिंग न्यूरोसाइंस जर्नल में लिखा था कि 15 सेकंड में हार्ट अटैक आने तक, उस व्यक्ति ने हाई-फ्रीक्वेंसी ब्रेन वेव यानी उच्च मस्तिष्क तरंगों का अनुभव किया, जिसे गामा ओशिलेशन कहा जाता है. ये मेमोरीज बनाने और इसे फिर से हासिल करने में जरूरी भूमिका निभाता है. डॉ जेमार ने बताया कि मृत्यु से ठीक पहले और दिल के रुकने के ठीक बाद हमें कुछ संकेत मिलते हैं. चूहों में की गई एक स्टडी में पहले भी पाया गया था कि मौत का अनुभव करने वाले लोगों में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ जाती है.
अब लोगों को नहीं लगता मृत्यु से डर
सेरोटोनिन एक केमिकल है जो दिमाग और पूरे शरीर में नर्व सेल्स के बीच मैसेज पहुंचाने का काम करता है. ये नींद में भी बड़ी भूमिका निभाता है. इसे 'हैप्पी हार्मोन' के नाम से भी जाना जाता है. नेशनल लुइस यूनिवर्सिटी के एक असोसिएट प्रोफेसर डॉ. डेविड सैन फिलिपो ने कहा कि जिन लोगों ने मौत को एक्सपीरियंस किया है, वे उत्साह और दर्द से राहत की भावनाओं का अनुभव करते हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर यह अध्ययन किया गया, उनके पास डेथ एक्सपीरियंस था. उन सभी ने कहा कि मौत के नजदीक होने के दौरान उन्होंने खुद शांत महसूस किया. उन्होंने यह भी कहा कि वो अब मृत्यु से नहीं डरते.
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