Periods Tips: पीरियड्स एक ऐसी समस्या है जिससे हर महिला को एक न एक दिन गुजारना पड़ता है. ये एक लंबा प्रोसेस होता है. पीरियड्स के वो दिन महिलाओं के लिए काफी कठिन होते हैं.महिलाओं को इस दौरान काफी परेशानी उठानी पड़ती हैं.हेवी फ्लो, दर्द, लीकेज जैसी कई समस्या हो जाती है. वहीं इस  दौरान हाइजीन का भी खूब खयाल रखना पड़ता है.


जरा सी लापरवाही से आप इन्फेक्शन की चपेट में आ जाती हैं. वक्त- वक्त पर आपको पैड बदलना पड़ता है. कई महिलाएं फ्लो के मुताबिक पैड चेंज करती हैं. वहीं कई महिलाएं कई घंटों तक एक ही पैड लगाए रहते हैं. बहुत सारी महिलाएं इस बात को लेकर ही कन्फ्यूज होती हैं कि कब पैड चेंज किया जाए. अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं तो आज हम आपको बताएंगे की पैड बदलने का सही वक्त क्या होता है. कितने समय में पैड बदलते रहना चाहिए.


पैड बदले का सही समय


एक्सपर्ट की मानें तो पीरियड्स के दौरान हाइजीन का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है. वरना इससे इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि हर 4 से 6 घंटे के बीच पैड चेंज करना जरूरी है. अगर हेवी ब्लीडिंग नहीं है फिर भी कम से कम 6 घंटे में पैड जरूर चेंज करना चाहिए. देर तक जमा हुआ ब्लड स्किन को इरिटेट कर सकता है. लंबे वक्त तक पुराने पैड का इस्तेमाल फंगल और बैक्टीरियल इनफेक्शन का भी कारण बन सकता है.इसलिए अपने पैड को पूरी तरह से फुल होने से पहले ही बदल लें.


जब पीरियड्स का ब्लड शरीर से बाहर निकल जाता है तो वो दूषित हो जाता है, ऐसा सिर्फ हेवी बिल्डिंग के दौरान ही नहीं करना चाहिए, बल्कि जब ब्लड फ्लो में कमी आ जाए तब भी इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. दूषित को उनके संपर्क में आते ही पैड भी गीला और दूषित हो जाता है.ऐसे में लंबे समय तक एक ही पैड का इस्तेमाल करने से इंफेक्शन का खतरा बना रहता है.


पैड ना बदलने से ये समस्या हो सकती है


लंबे वक्त तक पैड बदलने से वजाइना में खुजली जलन, रैशेज, त्वचा के छीलने जैसी समस्याएं हो सकती है. वहीं यूटीआई का जोखिम भी बढ़ सकता है. वजाइना से बदबू आने का कारण भी बन सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक कई मामलों में लंबे समय तक पैड बदलना सर्वाइकल कैंसर का कारण भी बन सकता है. क्योंकि वजाइना गीला होने से बैक्टीरिया वजाइना में जाकर इंफेक्शन पैदा कर सकता है.


ये तरीका चुनना है गलत


पीरियड्स के दिनों में जब ब्लीडिंग ज्यादा होती है तब बहुत सारी महिलाएं एक साथ दो सैनिटरी नैपकिन पैड और कपड़े का टुकड़ा इस्तेमाल करती हैं. हालांकि यह तरीका हेवी ब्लीडिंग से बचने में मददगार साबित हो सकता है. लेकिन यह एक हेल्थी ऑप्शन नहीं है. सैनिटेशन का जो तरीका इस्तेमाल करने की वजह से इस बात की संभावना कम हो जाएगी कि बार-बार पैड बदलें. इस वजह से वजाइनल इन्फेक्शन और रैशेज होने का खतरा बढ़ जाता है.


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