कोरोना काल के दौरान फलने फूलनेवाले कारोबार में सबसे ज्यादा मुनाफा कमानेवाला ऑनलाइन लर्निंग रहा है. हालांकि, एक नई रिसर्च में शिक्षा के इस तरीके पर सवाल खड़े किए गए हैं. साइंस टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षा का नया माध्यम विशेषकर स्कूलों में तालाबंदी के दौरान छात्रों के मानसिक सेहत को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचानेवाला साबित हुआ है. उसके अलावा, रिसर्च से ये भी सुझाव मिला कि कम आय वाले परिवार के छात्र और बड़े बच्चे बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं.
स्कूलों में तालाबंदी का छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
जामा नेटवर्क ओपेन में प्रकाशित शीर्षक 'कोविड-19 के दौरान स्कूलों की संस्कृति और बच्चों की मानसिक सेहत के बीच संबंध' नाम से है. उसमें बताया गया है कि ऑनलाइन एजुकेशन में नामांकित विभिन्न सामाजिक-जनसांख्यिकीय वाले बच्चों की मानसिक सेहत की मुश्किलें का अलग-अलग लेवल हो सकता है. अमेरिका में 2 हजार 3 सौ 24 व्यस्कों से मिले जवाब को इकट्ठा कर शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया. उन्होंने 2 दिसंबर से 21 दिसंबर 2021 तक सर्वे के बाद परिवार में कम से कम एक स्कूली उम्र के बच्चे में प्रभाव का पता लगाया. बड़ी उम्र के छात्रों को जब स्कूल से महरूम कर दिया गया तो उन्होंने तनाव का अधिक लेवल महसूस किया.
कोरोना काल में शिक्षा के माध्यम पर चौंकानेवाला खुलासा
वैज्ञानिकों की टीम ने स्कूलों में तालाबंदी के बाद बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव का अवलोकन किया. उन्होंने पाया कि खास समूह ने मानसिक स्वास्थ्य की अधिक परेशानियों को अनुभव किया. समूह में ज्यादातर कम आय वाले परिवार और अल्पसंख्यक नस्ल, जातीय समूह के बच्चे शामिल थे. उन्होंने ये भी नोट किया कि उच्च आमदनी वाले परिवार और कम आयु समूह के बच्चों को व्यक्तिगत शिक्षा से अपने साथियों के मुकाबले बड़ा फायदा हुआ. हालांकि, रिमोट लर्निंग से अगर सब कुछ ठीक भी रहा तो अपने घरों में कैद बच्चों ने आंशिक तौर पर सीखने का कुछ मौका गंवाया. ज्यादातर बच्चे अपने दोस्तों के साथ बातचीत के बारे में निश्चित नहीं थे और कुछ बच्चे भविष्य के बारे में चिंतित दिखे जबकि कुछ ने अपने महत्वपूर्ण रचनात्मक अनुभवों से महरूम पाया.
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