Air Pollution: सावधान! दीवाली-पराली वाला मौसम आ गया है, इन 5 बीमारियों से बच के रहें
Health News: वातावरण में धुंध और धुएं का स्तर बढ़ने से से कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-
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Smoke and fog Affect Your Health: सितंबर का माह लगभग खत्म होने वाला है. इस माह के खत्म होने के बाद आसपास काफी धुंध और धुआं नजर आने लगता है. धुंध पड़ने पर विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धुंध और धुएं की वजह से कई गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा रहता है. जी हां, दरअसल, धुंध बढ़ने से प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगता है, जिसकी वजह से लोगों को श्वसन से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा काफी ज्यादा रहता है.
धुंध और धुएं से क्यों होती हैं बीमारियां?
वातावरण में धुंध और धुआ बढ़ने का मतलब साफ है कि प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ रहा है. इस दौरान वातावरण में कई तरह के केमिकल्स जैसे - सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड इत्यादि रहती हैं. यह केमिकल वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों और ओजोन जैसे घातक केमिकल्स के साथ मिलकर एक परत तैयार करते हैं, जिसे धुंध कहा जाता है. यह धुंध कई गंभीर बीमारियों का कारक बन सकता है.
धुंध बढ़ने से कौन सी बीमारियां होती हैं?
अस्थमा की बीमारी
धुंध और धुएं में मौजूद जहरीले केमिकल्स की वजह से अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी बढ़ने की संभावना होती है. इसके अलावा जिन्हें पहले से ही अस्थमा है, उनकी समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं.
फेफड़ों में संक्रमण
धुंध काफी दूषित होता है, जो सांस के जरिए आपके शरीर में प्रवेश करता है. यह आपके फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है. इससे सांस से जुड़ी बीमारियां जैसे- घबराहट, सांस लेने में परेशानी इत्यादि होना का खतरा रहता है.
खांसी की समस्या
धुंध और धुआं होने पर श्वसन प्रक्रिया प्रभावित होती हैं, जिसकी वजह से आपको खांसी की समस्या हो सकती है. दरअसल, धुंध में मौजूद केमिकल्स आपके वायुमार्ग को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकती है.
आंखों में हो सकती है जलन
वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से आंखों में जलन की परेशानी भी होती है. इसके कारण आपके आंँखों की झिल्ली में जलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इसके साथ ही आंखों में सूजन और संक्रमण का भी खतरा रहता है.
ब्रोंकाइटिस से हो सकते हैं प्रभावित
धुंध अगर लंबे समय तक रहे तो इसकी वजह से आपको ब्रोंकाइटिस की परेशानी हो सकती है. यह आपके श्लेष्मा झिल्ली (mucous membranes) को प्रभावित करती है, जिसकी वजह से सूजन हो सकती है. साथ ही सांस लेने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
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