Air Ambulance: आपने अखबार या टीवी न्यूज चैनल पर एयर एंबुलेंस का जिक्र सुना ही होगा. कुछ महीने पहले ही लालू यादव की हेल्थ कंडिशन खराब होने के कारण उन्हें एयर एंबुलेंस के जरिए पटना से दिल्ली एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल में इलाज के लिए ट्रांसफर किया गया था. ऐसी खबर सुनकर आपके दिमाग में सवाल जरूर आता होगा कि एयर एंबुलेंस सिर्फ मशहूर, पैसे वाले लोग ही यूज कर सकते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. एयर एंबुलेंस कोई भी यूज कर सकता है. किसी भी विपरीत परिस्थियों में किसी भी शख्स की जान बचाने के लिए इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है. आज हम इस आर्टिकल के जरिए एयर एंबुलेंस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं. 


वहीं दूसरी तरफ एयर एंबुलेंस को भारत में बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई नए प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं. भारत में हर दिन खतरनाक सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में पीड़ितों तक बिना समय गवाएं सहायता पहुंचाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हाल ही में ज़रूरतमंद मरीजों, विशेष रूप से पहाड़ी और दूरदराज के लोगों और कठिन क्षेत्रों में समय पर सहायता प्रदान करने के लिए 'संजीवनी सेवा' शुरू की गई है. एम्स ऋषिकेश से संजीवनी यानी हेलीकॉप्टर आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा देश के कोने-कोने को कवर करेगी, ताकि गोल्डन ऑवर यानि आनन फानन में चिकित्सा सेवा जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाया जा सके. इसी सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसी प्रोजेक्ट के तहत देश में तीन हेलीकॉप्टर गलियारे बनाए गए हैं. इस सेवा के तहत यह प्रयास किया जा रहा है कि यह सेवा हर मौसम में और हर समय उपलब्ध कराई जा सके. यह पूरे भारत में सेवाओं के प्रसार और चिकित्सा सहायता सुविधाओं में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम प्रदान करेगा.


नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में देश में हेलीकाप्टर क्षेत्र को बढ़ाने के लिए तीन नई परियोजनाओं की घोषणा की जिसमें शामिल हैं: परियोजना आकाश, हेलीकाप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवा (एचईएमएस), और आंशिक स्वामित्व. साथ ही दूर- दराज और पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए एयर एंबुलेंस की सुविधा प्रदान की जाएगी. इस प्रोजेक्ट का नाम 'आकाश' रखा गया है.


क्या है सरकार का प्रोजेक्ट 'आकाश'


इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरुआत में 6 महीने के लिए एम्स ऋषिकेश में हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सर्विस सेंटर शुरू किया जाएगा. कोशिश की जा रही है कि पहली कॉल के 20 मिनट के भीतर हेलीकॉप्टर मरीजों तक पहुंच जाए. हेलीकॉप्टर में मरीज को ले जाने के लिए स्ट्रेचर और डॉक्टर होगा. एक पायलट के पास आवश्यक चिकित्सा उपकरण होंगे. हेलीकॉप्टर बिना ईंधन भरे 300 किमी की दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम होगा. इस पूरी सेवा का केंद्र एम्स ऋषिकेश का हेलीपैड होगा.


एयर एंबुलेंस क्या है?


किसी व्यक्ति की गंभीर एक्सीडेंट हो गई है. उस व्यक्ति को घटनास्थल से या किसी एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल ले जाने के लिए एयर एंबुलेंस का उपयोग किया जा सकता है. इस एयर एंबुलेंस में बुनियादी चिकित्सीय सुविधाएं होती हैं. इसमें वह सभी सामान और सुविधाएं होती है. जिससे इमरजेंसी के वक्त किसी मरीज की जान बचाई जा सकती है. खासतौर पर यह तब यूज किया जाता है जब किसी मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर है और उसे ट्रेन या रोड के जरिए हॉस्पिटल नहीं लाया जा सकता है. साथ ही यह तब भी यूज किया जाता है जब मामला गंभीर है और सड़क पर ज्यादा भीड़भाड़ की स्थिति बनी हुई है. 


किस स्थिति में एयर एंबुलेंस का किया जाता है इस्तेमाल


एकदम इमरजेंसी 


भारत सरकार द्वारा ऐसे नियम लागू किए गए हैं कि सड़क पर किसी एंबुलेंस को इमरजेंसी में दिखें तो उसे सबसे पहले रास्ता दें. यह सभी नागरिक की जिम्मेदारी बनती है. लेकिन जैसा कि आप जानते ही भारत के सड़कों का हाल.कई बार स्थिति गंभीर होती है और मरीज के सेकेंड-सेकेंड कीमती होते हैं तो ऐसे में एयर एंबुलेंस के जरिए मरीज को हॉस्पिटल पहुंचाया जाता है. 


मल्टीपल कैजुअलिटी


कई बार गंभीर एक्सीडेंट या बड़ी आगजनी में मल्टीपल कैजुअलिटी हुई है तो ऐसे में कई लोगों को एक साथ हॉस्पिटल ले जाने के लिए एयर एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी स्थिति में यह तरीका काफी अच्छा होता है. इसके जरिए कई मरीजों को हॉस्पिटल पहुंचाया जा सकता है. 


ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन


ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन में एयर एंबुलेंस में काफी ज्यादा यूज किया जाता है. क्योंकि ऑर्गन ट्रांसप्लानंट करना एक बेहद कठिन प्रकिया है और इसे बाहर देर तक नहीं रखा जा सकता है. वरना वह बेकार और डैमेज हो सकता है. ऐसी स्थिति में एयर एंबुलेंस के जरिए मरीज तक  ऑर्गन पहुंचाना ही सबसे महत्वपूर्ण है. 


रिमोट एरिया 


रिमोट या पहाड़ी क्षेत्रों में हॉस्पिटल काफी दूर होते हैं ऐसे में रोड के जरिए पहुंचने में समय ज्यादा और मुश्किलें काफी ज्यादा होती है. कई बार तो पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन या बर्फबारी जैसी सम्स्याओं की वजह से सड़के पूरी तरह खराब होती है. ऐसे में एयर एंबुलेंस का सहारा ही लेना पड़ता है. 


एयर एंबुलेंस के अंदर क्या-क्या होता है?


एयर एंबुलेंस इमरजेंसी से जुड़ी कई सारी चीजें होती हैं.  खासकर इसमें ब्रीदिंग एप्रेटस, मॉनिटरिंग सिस्टम, पेसमेकर जैसी मशीन होती हैं. इसके अलावा में एयर एंबुलेंस में एड्रेनलीन, प्रोपोफोल, बीटा ब्लॉकर्स, खून पतला करने वाली मेडिसिन भी होती है. इसके साथ अगर मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर है तो इसमें और भी दूसरी मशीन को जोड़ा जा सकता है. 


एयर एंबुलेंस को बुक करने का किराया कितना है?


अलग-अलग हॉस्पिटल और कंपनियां आजकल एयर एंबुलेंस की सुविधा दे रही हैं. अलग-अलग एयर एंबुलेंस का किराया अलग-अलग हो सकता है.इंडिया में एयर एंबुलेंस का किराया 1 .6 लाख रुपए से 2 लाख रुपए प्रति घंटा तक हो सकता है. इससें मरीज की स्थिति के हिसाब से  जरूरत से ज्यादा मे़डिसिन और  मशीन भी जोड़ा जा सकता है. 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये प्रति घंटे के बीच हो सकती है. एयर एंबुलेंस का किराया इस बात पर निर्भर करता है कि कहां से कहां जा रहा है. यानी दूरी पर भी निर्भर करता है और हेलीकॉप्टर के प्रकार पर निर्भर करता है.


एयर एंबुलेंस को कैसे बुक कर सकते हैं 


इसके लिए  सबसे पहले आपको एयर एंबुलेंस सर्विस प्रोवाइड करवाने वाले हॉस्पिटल या कंपनी के इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें.


सबसे पहले उस हॉस्पिटल को फोन करें जहां आपको एयर एंबुलेंस के जरिए आपको मरीज को लेकर जाना है. या उस हॉस्पिटल को भी कर सकते हैं जहां से मरीज को लेकर दूसरे हॉस्पिटल जाना है.आजकल कई निजी चार्टर कंपनियां एयर एंबुलेंस की सुविधा भी दे रही हैं.


इसके बाद कस्टमर केयर प्रतिनिधि को मरीज की स्थिति या आसान भाषा में कहें तो गंभीरता के बारे में विस्तार से बताएं, ताकि वह गंभीरता या इमरजेंसी समझते हुए आपको जल्द से जल्द सेवा प्रदान करवा सकें.


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसी सर्विस देने के लिए हॉस्पिटल या कंपनी की एक खास यूनिट होती है, जो आपके बताई गई स्थिति का आंकलन करेगी और आपको सेवा के किराए और कुछ जरूरी फर्स्ट एड के बारे में भी बताएगी.


इसके बाद वह यूनिट अपनी इमरजेंसी मैनेजमेंट यूनिट को एक एलर्ट भेजेगी ताकि जल्द से जल्द एयर एंबुलेंस को डिस्पैच किया जा सके. 


इसके बाद एयर एंबुलेंस जल्द से जल्द पहुंचकर मरीज को अपनी सेवा देगी. 


मंजूरी मिलते ही मरीज को एयर एंबुलेंस के लैंडिंग जोन में ले जाया जाएगा


विमान के अंदर स्थापना के आधार पर एक मरीज को सीट / स्ट्रेचर / एयर बेड पर ठीक से बांधा जाता है


सभी जरूरी हवाई और मेडिकल क्लीयरेंस लेने के बाद प्लेन डेस्टिनेशन पर लैंड करता है


सरकारी अस्पताल से इसकी बुकिंग कराने की स्थिति में आपको सरकारी अस्पताल और जिला प्रशासन से संपर्क करना होगा. उनसे बात करने के बाद स्थिति के अनुसार एंबुलेंस की सुविधा ली जा सकती है.


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