Ramdana Laddoos:  चौलाई की सब्जी और चौलाई के लड्डू खाने के लिए अब फरवरी-मार्च बेस्ट सीजन है. क्योंकि इसके बाद गर्मी का मौसम शुरू हो जाएगा और उस समय पर चौलाई के लड्डू खाना सही नहीं होता है. क्योंकि इनकी तासीर गर्म होती है और शरीर को गर्माहट देते हैं. अब आप कहेंगे कि फरवरी और मार्च में भी तो गर्मी लगने लगती है. तो इसका उत्तर यह है कि इस मौसम में गुलाबी ठंड होती है. यानी हल्की-सर्दी. इस समय पर हवा ठंडी होती है और मौसम का तापमान लगभग सामन्य. हालांकि बदलते मौसम में खांसी-सर्दी, बुखार, गला खराब, तरह-तरह के इंफेक्शन इत्यादि की समस्या होती है. चौलाई की सब्जी और रामदाना से बने लड्डू या खीर, इन समस्याओं से बचाने का काम करते हैं...


आइसाइट बढ़ाते हैं ये लड्डू



  • कितना अच्छा है ना कि आइसाइट बढ़ाने के लिए आपको दवाइयों की जगह लड्डू खाने को मिलें... तो रामदाना के लड्डू ऐसे ही हैं, जो विटामिन-ए से भरपूर होते हैं. आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए ये विटामिन बहुत जरूरी होता है.

  • चौलाई में कुछ खास अमीनो एसिड्स पाए जाते हैं, जो हर फूड में नहीं होते हैं. इसलिए चौलाई खाने से आंखों की रोशनी तो बढ़ती ही है, साथ ही ब्लड वेसल्स को भी मजबूती मिलती है, जिससे आंखों की रोशनी के साथ ही आंखों रेटिना और मसल्स को मजबूती भी मिलती है. ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनता है और आंखें जल्दी से किसी भी इंफेक्शन की चपेट में आने से बची रहती हैं.


कैसे खाना चाहिए रामदाना?



  • रामदाना के लड्डू या चिक्की खाएं तो इन्हें हमेशा दूध के साथ खाना चाहिए. आप साथ में दूध चाहे ना लें लेकिन दिन में किसी भी समय दूध जरूरी पिएं. क्योंकि दूध शरीर के तापमान को बैलंस करने में मदद करता है.

  • चौलाई का साग या सब्जी हीमोग्लोबिना बढ़ाने का काम करता है. ये ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. यदि घर में किसी भी इम्युनिटी कमजोर है या कोई फैमिली मेंबर बार-बार बीमार पड़ जाता है तो उसे सर्दियों के मौसम में रामदाना, लड्डू, खीर और दूध देना चाहिए. साथ ही जब तक चौलाई का साग मार्केट में उपलब्ध रहे, अलग-अलग तरीके से इसकी सब्जी, साग और भाजी बनाकर खिलानी चाहिए.


कोलेस्ट्रोल कंट्रोल करने के लिए खाएं?



  • चौलाई के सीड्स और इसकी सब्जी दोनों ही फाइबर से भरपूर होते हैं. कोलेस्ट्रोल पाचनतंत्र के अंदर फाइबर को बांधकर धमनियों को सब्त बना देता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत पैदा होती है और स्ट्रोक की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. फाइबर्स की अधिकता और सही मात्रा में फाइबर का डायजेशन इस समस्या को कम करता है.

  • चौलाई में पोटैशियम भी अच्छी मात्रा में होता है जो फाइबर के बंधने की प्रक्रिया को कंट्रोल करने में मदद करता है. साथ ही धमनियों यानी वेन्स पर बनने वाले प्रेशर को कम करके उनकी लचक बनाए रखता है और ब्लड सर्कुलेशन को स्मूद रखने का काम करता है. इस तरह चौलाई का सेवन कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करता है, इसके बुरे प्रभाव से शरीर को बचाता है और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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