Women Health and Menopause: पश्चिमी देशों की महिलाओं की तुलना में भारतीय महिलाएं 4 से 5 साल पहले मेनोपॉज की स्थिति में पहुंच जाती हैं. इसके ज्यादातर कारण समाज और सेहत से जुड़े हैं. भारत की महिलाएं खुद भी और परिवार के सदस्य भी इनकी सेहत से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. यह एक बड़ी वजह है कि हमारे देश में महिलाएं पश्चिमी देशों की तुलना में कम उम्र में मेनोपॉज (How to deal with menopause) की स्थिति में पहुंच जाती हैं.
उम्र के आधार पर बात करें तो भारत में महिलाओं की मेनोपॉज की उम्र 45 से 46 साल के बीच है. जबकि पश्चिमी देशों में यह उम्र 51 साल है. दूसरी बात यह भी वहां महिलाओं को हमारे देश की तुलना में अपने लिए अधिक आजादी मिली हुई है. साथ में एजुकेशन का स्तर अच्छा होने के कारण महिलाएं अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत पर अधिक ध्यान दे पाती हैं. ये सभी चीजें मिलकर महिलाओं में मेनोपॉज की स्थिति को जल्दी या देर से आने की वजह बनते हैं.
क्या होता है मेनोपॉज?
मेनोपॉज वह शारीरिक स्थिति होती है, जब महिलाओं को पीरिड्यस आने बंद होने लगते हैं. यह प्रक्रिया एक या दो दिन या महीने में नहीं होती बल्कि कई-कई साल तक चलती है. जैसे, शुरू में पीरिड्स का समय घटता है. यदि किसी महिलाओं को पीरियड्स 5 दिन तक होते थे तो धीरे-धीरे घटकर 3 दिन, दो दिन तक आते हैं. इस दौरान भी ब्लड का फ्लो कम या ज्यादा रहता है.
फिर धीरे-धीरे किसी महीने पीरियड्स आते हैं और किसी महीने नहीं आते. कभी-कभी दो-दो महीने तक नहीं आते और किसी को एक महीने में दो बार भी आ सकते हैं. जब महिलाएं इन स्थितियों से गुजर रही होती हैं तो उनके शरीर में बहुत सारे हॉर्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं. इस कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें फिजिकल हेल्थ और मेंटल हेल्थ दोनों से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं.
मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याएं?
- सबसे पहली बात महिलाओं का व्यवहार कुछ चिड़चिड़ा हो जाता है. ऐसे में उन्हें किसी तरह के दोषारोपण की नहीं बल्कि आपके प्यार और सपॉर्ट की जरूरत होती है.
- महिलाएं पहले की तुलना में अधिक भावुक हो जाती हैं या गुस्सा करने लगती हैं. आप उनकी स्थिति को समझें और सहयोग करें.
- शरीर के किसी ना किसी अंग में दर्द रहना.
- भूख कम लगना या बिल्कुल भूख ना लगना.
- कमजोरी महसूस होना
- कभी-कभी अचानक चक्कर आना
- हॉट फ्लैशेज की समस्या
- बीपी से जुड़ी समस्याएं
- रात को सोते समय पसीना-पसीना हो जाना
- त्वचा संबंधी समस्याएं होना
- बाल अधिक गिरना
मेनोपॉज के दौरान कैसे खुश रहें?
- सवाल यह उठता है कि इस स्थिति में जब आप अपने हॉर्मोन्स को कंट्रोल करने के लिए दवाओं का सेवन भी बहुत अधिक नहीं कर सकतीं, ऐसे में अपनी स्थिति को बेहतर कैसे बनाएं? तो इसका सीधा-सा उत्तर है कि आप बात करें. अपने पार्टनर को अपनी स्थिति के बारे में बताएं. उन्हें बताएं कि इस समय आपको किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
- इस उम्र तक आते-आते ज्यादातर महिलाओं के बच्चे बड़े और समझदार हो चुके होते हैं. आप यदि कंफर्टेबल फील करें तो अपने बच्चों को अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताएं और उसने कहें कि आपको उनकी मदद की जरूरत है.
- डेली रुटीन के कामों में पति और बच्चों की हेल्प लें.
- अपने लिए समय निकालें, योग, ध्यान, एक्सर्साइज और वॉक करें. ये सभी हॉर्मोनल बैलंस में और खुश रहने में मदद करते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें: फिर बढ़ गया है मच्छरों का प्रकोप, इन आसान तरीकों से करें बचाव
यह भी पढ़ें: क्यों दी जाती है बादाम भिगोकर और छीलकर खाने की सलाह, ये है असली वजह