How to Prevent Malaria: मच्छरों का प्रकोप एक बार फिर अपने चरम पर है. बारिश लगभग जा चुकी है और सर्दियों के स्वागत के लिए मौसम धीरे-धीरे करवट ले रहा है. मौसम में होते इसी बदलाव का नाम शरद ऋतु है. हमारे देश में मौसम तो तीन होते हैं लेकिन ऋतुएं चार होती हैं.
बारिश के बाद जब शरद ऋतु आती है तो मौसम में उमस और गर्मी के अहसास को कम कराने लिए हवा में ठंडक बढ़ने लगती है लेकिन इस बदलते मौसम में मच्छरों की प्रजनन रफ्तार फिर से बढ़ जाती है और एक बार फिर बदलते मौसम में मलेरिया का खतरा सिर पर हावी होने लगता है. लेकिन आप इस खतरे से आसानी से बच सकते हैं वो भी खीर जैसा स्वादिष्ट भोजन खाकर...
मलेरिया से बचने का तरीका
शरद ऋतु में खीर खाना मलेरिया से बचने का सबसे आसान और रोचक उपाय है. अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर खीर खाकर कैसे मलेरिया से बचा सकता है! तो इसका जवाब बहुत रोचक है और साथ ही आपको हैरान भी करेगा. इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले आपसे एक बात और जानना चाहते हैं कि क्या आपने कभी सोचा है कि मच्छर तो बहुत गर्मी के सीजन में भी काटते हैं और बहुत सर्दी के सीजन में भी कोई ना कोई मच्छर खून चूसने आ ही जाता है. लेकिन ये मलेरिया हमेशा तभी क्यों फैलता है, जब मौसम बदल रहा होता है? आइए, अब इन दोनों ही प्रश्नों के उत्तर जान लेते हैं...
बदलते मौसम में ही क्यों होता है मलेरिया?
अगर सिर्फ इंफैक्टेड मच्छर के काटने भर से मलेरिया हुआ करता तो धरती पर इतनी जनसंख्या ना पनप पाती. यह सही है कि मच्छर के काटने से मलेरिया होता है लेकिन यह सही नहीं है कि मलेरिया होने की वजह सिर्फ मच्छर का काटना होता है. क्योंकि जब मलेरिया के वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वो उसके शरीर में मलेरिया फैलाने वाला वायरस डाल देता है, जिसे प्रोटोजोआ के नाम से भी जाना जाता है.
लेकिन खास बात यह है कि मनुष्य के शरीर में पहुंचने के बाद प्रोटोजोआ सर्वाइव ही तब कर पाता है, जब व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर हो. जब रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है तो यह वायरस व्यक्ति के शरीर में आसानी से फैल जाता है और बीमार बना देता है. जब मौसम बदल रहा होता है तो इस समय पर शरीर में पित्त की मात्रा बहुत बढ़ी हुई होता है. जब शरीर में पित्त बढ़ता है तो रोग प्रतिरोधक क्षमता काफीकम हो जाती है. बस इस स्थिति में जब मलेरिया का मच्छर काटता है तो व्यक्ति इस रोग की चपेट में आ जाता है.
खीर मलेरिया से कैसे बचाती है?
- शरद ऋतु में दूध और चावल की बनी खीर खाने से मलेरिया होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. यदि आपको डायबिटीज की समस्या नहीं है और परिवार में इसका इतिहास भी नहीं है तो इस मौसम में आप हर दिन दूध और चावल की खीर का सेवन कर सकते हैं.
- आयुर्वेद के अनुसार, दूध और चावल से बनी खीर पित्त शामक होती है. यानी शरीर में बढ़ी हुई पित्त की मात्रा को कम करती है और पित्त बनने की प्रक्रिया को धीमा करती है. तेज उमस और गिरते तापमान के बीच यह शरीर के अंदर हो रही रासायनिक क्रियाओं में संतुलन बनाए रखने का काम करती है.
- लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि यह खीर सफेद चावलों से बनी होनी चाहिए. इसमें चावल और दूध के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलाना है. ना मावा ना मेवे. दूध में चावलों को अच्छी तरह पकाकर या कहिए कि ओटाकर खीर तैयार करें और इसका सेवन करें.
- इस खीर को खाने का सबसे अधिक लाभ तब मिलता है, जब खीर बनाने में देसी गाय के दूध का उपयोग किया जाए. क्योंकि देसी गाय के दूध का कंपोजिशन पित्त को शांत करने में महत्वपूर्ण रोल निभाता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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