Depression Treatment: इंग्लैंड इस बार का टी20 वर्ल्ड कप जीतकर वो देश बन गया है, जिसके पास वन-डे वर्ल्ड कप और T20 WC 2022 दोनों हैं. फाइनल मैच में इंग्लैंड को जीत दिलाने वाली पारी खेलने वाले बेन स्टोक्स सिर्फ दो साल पहले डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे. बेन के डिप्रेशन का कारण उनके पिता का निधन होना था. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने बड़े हो गए हैं और आपकी उम्र क्या है, क्योंकि माता-पिता के साथ डीप कनेक्शन रखने वाले लोग हमेशा उनके लिए बच्चे ही रहते हैं और पैरेंट्स का होना उनके लिए सिर पर छत होने की तरह होता है, बेन स्टोक्स के साथ भी कुछ ऐसा ही था.


पिता से भावनात्मक रूप से गहरा जुड़ाव रखने वाले बेन उनकी मृत्यु के सदमे से डिप्रेशन में चले गए और 2 साल तक गंभीर मानसिक और भावनात्मक उतार-चढ़ाव से गुजरे. जाहिर है कि इसका असर इनके करियर पर भी पड़ा. लेकिन सही इलाज और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ बेन ने खुद को संभाला, करियर में वापसी की और अपनी टीम के लिए वर्ल्ड कप जीताने वाली पारी भी खेली. यदि इंग्लैंड की टीम टी-20 वर्ल्ड कप ना जीतती और बेन इतनी अच्छी (49 गेंदो पर 52 रन) पारी ना खेलते तो शायद हम इनके डिप्रेशन के बारे में भी बात नहीं कर रहे होते. लेकिन इस बीमारी को हराकर विश्वकप विजेता टीम का तारणहार बनने का हौंसला हमें बेन और डिप्रेशन पर खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करता है.


भयानक समस्या है डिप्रेशन


डिप्रेशन एक ऐसा रोग है जो जीवन के किसी ना किसी स्तर पर हर व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है. लेकिन इसकी अलग-अलग फॉर्म्स के चलते यह किसी में रोग की तरह नजर आने लगता है, जबकि कुछ लोग इसके माइल्ड लक्षणों को ना पहचान पाने के कारण सालों साल इसे कैरी करते रहते हैं. इन लक्षणों को आप इस तरह पहचान सकते हैं...



  • किसी काम में मन ना लगना

  • एकाग्रता की कमी

  • नकारात्मक विचार आना

  • उदासी बने रहना

  • किसी से बात करने की इच्छा ना होना

  • अकेलापन महसूस होना

  • बिना बात रोने की इच्छा होना

  • अकारण ही घबराहट होना


बच्चों में ऐसे पहचाने डिप्रेशन


हर 7 में से 1 बच्चा लो मूड, माइल्ड डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी भावनात्मक-मानसिक समस्याओं का शिकार होता है. मासूम बच्चा इन समस्याओं से जूझता रहता है और ना तो वो अपनी प्रॉब्लम किसी को समझा पाता है और ना ही पैरेंट्स भी बच्चे की समस्या को जान पाते हैं. हर 7 में से एक बच्चा लो मूड का शिकार होता है, यह डेटा 'डिप्रेशन इन चिल्ड्रन ऐंड अडोल्सेंट: ए रिव्यू ऑन ऑफ इंडियन स्टडीज' में प्रकाशित किया गया है.


लाइलाज नहीं है ये बीमारी 
डिप्रेशन कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. बस इसे समझने, सही इलाज कराने और इससे जूझ रहे व्यक्ति को सही भावनात्मक माहौल मिलने की जरूरत होती है. ये सभी चीजें एक साथ मिलें तो मन को छलनी कर देने वाली और जीने की इच्छा समाप्त कर देने वाली डिप्रेशन जैसी बीमारी को पूरी तरह काबू किया जा सकता है. और इससे पीड़ित हुआ व्यक्ति एक बार फिर अपनी लाइफ में नए मुकाम हासिल कर सकता है. क्रिकेटर बेन स्टोक्स फिलहाल इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं.


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