Holi 2023: रंग में भंग न हो जाए इसलिए अस्थमा के मरीज गुलाल खेलते वक्त इन बातों का रखें खास ख्याल
Holi 2023: होली आते ही हम अपने मन में कई तरह के गाइडलाइन्स बनाते हैं. ठीक उसी तरह अस्थमा के मरीजों को होली में कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए.
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साल 2023 का सबसे पहला और बड़ा त्योहार होली आने में बस 2 दिन बाकी है. इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. होली पर कुछ लोग इतना ज्यादा हुड़दंग मचाते हैं कि वह अपनी तबीयत तक खराब कर लेते हैं. इस लिस्ट में सबसे पहले आते हैं अस्थमा के मरीज. खासकर अस्थमा के मरीज होली के त्योहार पर इन बातों का खास ख्याल रखें. क्योंकि उनकी थोड़ी सी लापरवाही उन्हें काफी ज्यादा बीमार कर सकती है. गुलाल हो या रंग अगर अस्थमा के मरीज के मुंह के अंदर चला जाए तो फिर उनके लिए काफी दिक्कतें शुरू हो सकती है. होली पर अस्थमा के रोगी के साथ कुछ अनहोनी न हो जाए इसलिए इन टिप्स को फॉलो करें.
होली पर अस्थमा के मरीज इन बातों का ख्याल रखें
होली पर रंग- धूल मिट्टी से बचें
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक होली पर अस्थमा के मरीजों को सबसे ज्यादा इन बातों का ख्याल रखना है कि उन्हें गुलाल और मिट्टी से बचना है. सिर्फ इतना ही नहीं उन्हें ऐसी किसी चीज के संपर्क में नहीं रहना है जिससे उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ न जाए. क्योंकि गुलाल से उन्हें अटैक भी हो सकता है. इसलिए अस्थमा के मरीज को पानी से ही होली खेलनी चाहिए.
होली खेलने जाए तो जेब में रखें इनहेलर
अस्थमा के मरीज अगर होली खेलने का प्लान कर रहे हैं तो अपने सलवार सूट या पैंट के जेब में इनहेलर जरूर रखें. क्योंकि रंग और गुलाल की वजह से सांस फुलने की दिक्कत हो सकती है. इनहेलर रहेगा तो आप तुरंत कंट्रोल कर सकते हैं.
अस्थमा के मरीजों को हो सकती हैं ये दिक्कतें
सूखे रंग से खेलना अस्थमा के मरीज के लिए दिक्कत पैदा कर सकती है. क्योंकि रंग में मौजदू छोटे से कण सांस के जरिए फेफड़ों के अंदर घूस जाती है. और फिर ये आगे चलकर दिक्कत पैदा कर देती है.
कैमिकल से बने होते हैं गुलाल इसलिए सांस की बीमारी वाले को मरीज को होती हैं ये दिक्कतें
सूखे रंग को गुलाल कहा जाता है. आजकल गुलाल केमिकल से लेकर हर्बल चीजों से भी बनाया जाता है. बिना गुलाल का होली खेलने का मजा भी नहीं है. किन्तु समय के साथ इसमें बदलाव आया और होली के ये रंग अब रसायनिक भी होते हैं और कुछ तेज़ रासायनिक पदार्थों से तैयार किए जाते हैं व उन्हें अरारोट में मिलाकर तीखे व चटक रंग के गुलाल बनाये जाने लगे. ये रासायनिक रंग हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं, विशेष तौर पर आंखों और स्किन के लिए. लेकिन अभी भी मार्केट में कुछ हर्बल गुलाल भी मिलते हैं. जिन्हें लगाने से इसके साइडइफेक्ट बिल्कुल भी नहीं होते हैं.
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