Internal Body Swelling: शरीर में होने वाली सूजन को ज्यादातर मालमों में हम लोग अनदेखा कर देते हैं. क्योंकि हममें से ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं होती है कि ये भी कोई हेल्थ इश्यू है, खासतौर पर जब तक कि ये बहुत अधिक दिखने ना लगे. साथ ही डेली लाइफ की भागदौड़ में हम सभी इतने व्यस्त रहते हैं कि बॉडी के द्वारा दिए जाने वाले हेल्थ बिगड़ने के छोटे-छोटे संकेतों पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता है. इंटरनल स्वेलिंग यानी बॉडी स्वेलिंग हम सभी के शरीर में होती है. लेकिन कुछ लोगों को यह समस्या अधिक परेशान करती है.
अगर आपको अक्सर अपनी बॉडी ब्लोटेट फील होती है, शरीर में जकड़न हो जाती है, कहीं भी दर्द होने लगता है और फिर अच्छी तरह सोने, सही डायट लेने या कुछ दिन पूरी तरह रेस्ट करने के बाद आप खुद को स्लिम फील और हेल्दी फील करने लगते हैं तो आपको समझ जाना चाहिए कि इंटनल स्वेलिंग के प्रति आपकी बॉडी काफी सेंसेटिव है. इसे अनदेखा ना करें और अपने डॉक्टर या डायटीशियन से कंसल्ट करें. इंटरनल स्वेलिंग किन बीमारियों को ट्रिगर कर सकती है, पहले इनके बारे में जान लें...
बॉडी स्वेलिंग क्या नुकसान करती है?
बॉडी स्वेलिंग की वजह से कई बीमारियां हो सकती हैं, इन सभी बीमारियों में कभी डायरेक्ट तो कभी इनडायरेक्ट तरीके से बॉडी स्वेलिंग ट्रिगर का काम कर रही होती है...
- ऑटो इम्यून डिसऑर्डर
- कब्ज की समस्या
- PCOS
- एग्जिमा (स्किन संबंधी समस्याएं)
- IBS (इसमें हर समय मोशन का प्रेशर फील होता है)
- थायराइड
- हॉर्मोनल डिसऑर्डर
- पेट फूलना
- अपच की समस्या रहना
क्यों होती है इंटरनल स्वेलिंग?
शरीर में सूजन आने की वजह कई होती हैं लेकिन सबसे सामान्य कारण होता है, खाए हुए फूड के डायजेशन के दौरान बनने वाले फ्री रेडिकल्स. इन फ्री रेडिकल्स को मुक्त कण भी कहा जाता है. ये शरीर की अंदरूनी कोशिकाओं को डैमेज कर देते हैं, जिससे शरीर में सूजन की समस्या बढ़ जाती है. इसलिए अक्सर कहा जाता है कि आप अपनी डायट में ऐसे फूड्स को शामिल करें, जो ऐंटिऑक्सिडेट्स से भरपूर हों. क्योंकि ये फूड्स इन फ्री रेडिकल्स को कंट्रोल करते हैं और इनके कारण हुए डैमेज को तुरंत रिपेयर भी करते हैं. एक ही पोजिशन में देर तक बैठे रहना और किसी पुरानी बीमारी के कारण भी इंटरनल स्वेलिंग की समस्या हो सकती है.
क्या होता है ऑटो इम्यून डिसऑर्डर?
शरीर की आंतरिक सूजन के कारण होने वाली जितनी भी बीमारियों के बारे में ऊपर बताया गया है, इनमें सबसे अधिक खतरनाक होता है ऑटो इम्यून डिसऑर्डर. क्योंकि इसमें अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता खुद खुद अपने ही शरीर पर अटैक करने लगती है. इसका अटैक हेल्दी कोशिकाओं पर होता है, जिससे शरीर में कई तरह के रोग पनप जाते हैं और इंसान की जान भी जा सकती है.
ऑटो इम्यून डिसऑर्डर के लक्षण
- हर समय शारीरिक और मानसिक थकान रहना
- शरीर के जोड़ों में दर्द होना, सूजन आना
- त्वचा संबंधी बीमारियां लगातार होना
- पेट में दर्द रहना
- पाचन संबंधी समस्याएं रहना
- मांसपेशियों में सूजन रहना
- जल्दी-जल्दी बुखार आना
क्या खाने से मिलेगा फायदा?
- कच्ची हल्दी और हल्दी पाउडर का सेवन करें. हल्दी को दूध में मिलाकर या पानी के साथ सेवन कर सकते हैं.
- काली मिर्च का सेवन करें. शहद में मिलाकर इसे खा सकते हैं. एक चम्मच शहद में एक काली मिर्च का पाउडर मिलाकर धीरे-धीरे उंगली सेचाटकर खाएं.
- चाय-सब्जी इत्यादि में लौंग का सेवन करें.
- सुबह खाली पेट मेथीदाना खाएं. इसे रातभर पानी में भिगोकर रखें और सुबह एक चम्मच मेथीदाना को चबाकर खाएं. साथ में ताजा या गुनगुना पानी ले सकते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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