Cold in Kids: आपको जानकर हैरानी होगी कि 3 साल की उम्र तक ज्यादातर बच्चों को साल में 6 से 8 बार कोल्ड और कफ की समस्या होती है. आमतौर पर पहली बार जब ये वायरस बच्चों के शरीर पर अटैक करते हैं तो इनका इम्यून सिस्टम वायरस से उतनी अच्छी तरह लड़ नहीं पाता है, जितनी अच्छी तरह दूसरी या तीसरी बार में डिफैंड करता है. क्योंकि शुरुआत में बच्चों के इम्यून सिस्टम को भी पता नहीं होता है कि इन आउटर वायरस से कैसे जूझना है. यानी बच्चों को कोल्ड और कफ होने के बड़ा कारण उनका नाजुक शरीर और कमजोर इम्यून सिस्टम होता है.


वहीं, बच्चों में कोल्ड और कफ या वायरल जैसी समस्याओं की दूसरी बड़ी वजह होता है, ग्रुप प्ले के दौरान इंफैक्टेड बच्चों के संपर्क में आना. दरअसल, यदि किसी एक बच्चे को कोल्ड है या उसकी नाक बह रही है तो छींकने और खांसने के दौरान उसके शरीर से निकलने वाले वायरस कपड़ों, खिलौंनों और उसके द्वारा यूज की जाने वाली अन्य चीजों पर अगले 30 मिनट तक जिंदा रह सकते हैं. इस टाइम पीरियड में यदि कोई दूसरा बच्चा इन चीजों को संपर्क में आता है तो उसमें इनफेक्शन लगने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.


बच्चे को इंफेक्शन से कैसे बचाएं?
बदलते मौसम में बच्चों को इंफेक्शन से बचाने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें कुछ बेसिक सोशल एटिकेट्स सिखाएं. जैसे...



  • खांसने और छींकने पर मुंह को हैंकी से कवर करना चाहिए

  • टॉयज से खेलने के दौरान या ग्राउंड में खेलने के दौरान अपने हाथों को मुंह, नाक या आंखों पर नहीं लगाना चाहिए.

  • कुछ भी खाने या पीने से पहले हाथ साबुन से धोने चाहिए.

  • बच्चे को हैंड सैनिटाइजर के उपयोग के बारे में बताएं.

  • आपको लग रहा होगा कि 3 साल का बच्चा यह सब सीखने के लिए बहुत छोटा है, अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो यह सही नहीं है क्योंकि आप अपने लिटिल-वन को यह सब

  • सिखाना शुरू तो कीजिए एक बार आदत बन जाने के बाद वो खुद तो अपना ध्यान रखेगा ही, आपको भी ऐसी लापरवाही नहीं करने देगा! 

  • ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे क्विक लर्नर होते हैं. यदि आप इन्हें कोई भी बात डिटेल में समझाते हैं यानी क्यों ऐसा करना चाहिए, ऐसा करने से क्या होता है और ऐसा नहीं करेंगे तो क्या होगा इत्यादि. तो बच्चा हर बात समझता है.


बच्चे के खान-पान में बदलाव
मौसम में ठंड बढ़ने के साथ ही प्ले स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर इंटर कॉलेज जाने वाले बच्चों तक की डायट में जरूरी बदलाव करने चाहिए. ताकि बच्चे हेल्दी रहें और इनकी पढ़ाई डिस्टर्व ना हो. वैसे भी, बार-बार बीमार पड़ने से बच्चों में फिजिकल और मेंटल ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है. तो ये जरूरी बदलाव इनकी डायट में जरूर करें...



  • नाश्ते में बच्चे को ड्राइफ्रूट्स और केसर युक्त दूध देना शुरू करें.

  • रात को सोने से पहले बच्चे को हल्दी वाला दूध दें.

  • स्नान कराने के बाद बच्चे के शरीर पर सरसों तेल या बादाम के तेल की मालिश जरूर करें. इससे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

  • बच्चे को बताएं कि अब उसे आइसक्रीम जैसी ठंडी चीजें नहीं खानी हैं.

  • बच्चे के नाश्ते-खाने में ओट्स और दलिया को शामिल करें.

  • इस बात पर ध्यान दें कि बच्चा सही मात्रा में फ्लूइड डायट ले. इस बारे में आप अपने बच्चे के साथ जाकर चाइल्ड स्पेशलिस्ट यानी पीडियाट्रिशियन से मिल सकते हैं.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 


 


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