Skin Cancer: कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनके हो जाने के बाद यह महसूस ही नहीं होता कि उनसे हम पीड़ित हो चुके हैं. अच्छे-खासे चल रहे होते हैं. वही कॉमन दिनचर्या होती है. लेकिन यूहीं कभी चेकअप कराने चले जाते हैं तो जांच में बीमारी निकल आती है. ऐसी ही एक बीमारी कैंसर है, जिसका पहले स्टेज पर पता चल पाना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि शुरुआती समय में आपको कोई ऐसा सिम्टम यानी लक्षण नजर ही नहीं आ रहा होता और अगर आ भी रहा होता है तो हम छोटी सी प्रॉब्लम समझकर इसे नजरअंदाज कर देते हैं. यहां हम स्किन कैंसर के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो कैंसर का एक प्रकार है. स्किन कैंसर त्वचा से जुड़ी बीमारी है, जिसका अगर इलाज सही तरीके से नहीं कराया गया तो इसके भयंकर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं.
यहां हम उन लक्षणों के बारे में आपको बताएंगे जिनको पहचान कर आप शुरुआत में ही ट्रीटमेंट लेकर स्किन कैंसर से ठीक हो सकेंगे. स्किन का मेलेनोमा विशेष रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी और दक्षिणी भागों में आमतौर पर देखा जाता है. मेलेनोमा स्किन कैंसर का एक रूप है. स्किन कैंसर के दो मुख्य प्रकार हैं- नॉन मेलेनोमा स्किन कैंसर और मैलिग्नेंट मेलेनोमा. इन दोनों ही प्रकार के स्किन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी ने 2020-2040 के बीच स्किन कैंसर के मामलों में वैश्विक वृद्धि की भविष्यवाणी की है.
क्या ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहे स्किन कैंसर के केसेस
यह कहना मुश्किल है कि बढ़ते स्किन कैंसर के मामलों की वजह ग्लोबल वार्मिंग है. हालांकि शोधकर्ताओं का सुझाव है कि मामलों में बढ़ोतरी की वजह ग्लोबल वार्मिंग भी हो सकता है. अक्टूबर 2021 में लांसेट साइंस जर्नल में एक एडिटोरियल में कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन के कारण अल्ट्रावॉयलेट रेज़ की वजह से स्किन कैंसर और मेलेनोमा की मामले बढ़ते हुए माने जा सकते हैं.
स्किन कैंसर में त्वचा के रंग में होता है बदलाव?
पीली त्वचा, नीली आंखें और लाल या गोरे बालों वाले लोगों को त्वचा कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे रंग के लोग सनबर्न हुए बिना आमतौर पर सूरज का तेज प्रकाश और गर्माहट झेल सकते हैं. हालांकि इससे स्किन कैंसर के खतरा बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं. स्किन कैंसर के सबसे ज्यादा मामले ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में देखे गए हैं. दोनों देशों में बड़ी गोरे लोगों की बड़ी आबादी है. अफ्रीका और एशिया में स्किन कैंसर अपेक्षाकृत दुर्लभ है. लेकिन ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी के आंकड़े बताते हैं कि 2022 की तुलना में 2040 तक अफ्रीकी देशों में नए मामलों में 96 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है. इसी अवधि में एशिया में 59 प्रतिशत और लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में 67 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सकती है.
स्किन कैंसर के कारण क्या हैं?
बुजुर्गों लोगों में स्किन कैंसर काफी आम है. लेकिन युवा लोगों में भी इसका खतरा देखा गया है. कभी-कभी स्किन कम उम्र में ही डैमेज हो जाती है. या फिर आपके पास स्किन कैंसर का पारिवारिक इतिहास भी हो सकता है. इसके अलावा, धूप में आसानी से टैनिंग होना, आपके शरीर पर कई तिल या झुर्रियां होना, गंभीर सनबर्न का इतिहास होना आदि भी इसके कारण हो सकते हैं.
आप स्किन कैंसर का पता कैसे लगा सकते हैं?
यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि चेतावनी के संकेतों को याद रखने का एक आसान तरीका है- मेलेनोमा का A-B-C-D-Es.
एसिमिट्रिकल: क्या तिल या धब्बे का दो हिस्सों के साथ शरीर पर अनियमित आकार दिखता है और दोनों बहुत अलग दिखते हैं?
बॉर्डर: बॉर्डर अनियमित या खुरदरा है?
कलर: क्या रंग असमान है?
डायमीटर: क्या तिल या धब्बा मटर के दाने के आकार से बड़ा है?
ये भी पढ़ें: ये है देश की सबसे स्लो ट्रेन... फिर भी लोग इसमें सफर करने को रहते हैं बेताब! जानिए इसमें ऐसा क्या खास है