Cause of depression in childhood: डिप्रेशन की जब भी बात होती है तो इसे बड़े लोगों या वयस्कों की बीमारी के रूप में देखा जाता है. ज्यादातर लोग इस बात को जानते ही नहीं या स्वीकारने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं कि बच्चों में भी डिप्रेशन हो सकता है. जब बच्चा चुपचाप और अकेला रहता है तो पैरेंट्स को लगता है कि यह उसकी आदत है, लेकिन हर बार ऐसा ही हो यह जरूरी नहीं है. इसलिए आपको जरूर पता होना चाहिए कि किन लक्षणों को देखकर आप यह जान सकते हैं कि आपके बच्चे को आपकी मदद की जरूरत है और वह डिप्रेशन की तरफ बढ़ रहा है...
कई तरह का होता है डिप्रेशन
जिस तरह डिप्रेशन के कारण अलग-अलग होते हैं, इसी तरह इसकी स्टेज भी अलग होती हैं. यह माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर कैटिगरी में होता है. लक्षणों के आधार पर और बच्चे की मानसिक स्थित के आधार पर असेसमेंट के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि बच्चा डिप्रेशन की किस स्टेज से गुजर रहा है.
बच्चे में डिप्रेशन के लक्षण
- बच्चा उदास रहता है और अकेले रहता है
- कम बोलता है और जब भी बोलता है उसकी बातों में निराशा होती है
- चिड़चिड़ा हो जाता है और बिना बात के गुस्सा करतना है
- नींद के पैटर्न में बदलाव हो जाता है या तो पहले से कम सोने लगता है या बहुत अधिक सोने लगता है
- पढ़ाई या किसी भी काम पर फोकस करने में समस्या होती है
- सिरदर्द और पेटदर्द की शिकायत करता है
- थका हुआ और कमजोर महसूस करता है
- रोज के कार्यों जैसे, नहाना, स्कूल जाना, होमवर्क करना इत्यादि ठीक से नहीं कर पाता.
बच्चों को क्यों होता है डिप्रेशन?
आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर बच्चों को ऐसी कौन-सी बड़ी टेंशन हो जाती है, जिसके चलते बच्चे डिप्रेशन की चपेट में आ जाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर एक लाइन में नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसके कई अलग कारण हो सकते हैं, जैसे...
- अनुवांशिक
- डिलीवरी के समय आई कोई दिक्कत
- प्रेग्नेंसी के दौरान मां का लेड जैसे टॉक्सिन्स के संपर्क में आना
- घर का माहौल ठीक ना होना
- पैरेंट्स के बीच अनबन रहना
- बच्चा बुलिइंग का शिकार हो जाए
- बच्चा यौन उत्पीड़न का शिकार हो जाए
- बच्चे के मन में किसी बात का डर बैठ गया हो
बच्चे में डिप्रेशन का इलाज
सायकाइट्रिस्ट अससमेंट के बाद बच्चे में डिप्रेशन के स्तर और कारणों का पता लगाने का प्रयास करते हैं और फिर इसी के आधार पर देखा जाता है कि बच्चे को दवाओं की जरूरत है या सिर्फ थेरेपी से काम चल जाएगा. सही इलाज मिलने पर बच्चा जल्दी रिकवर कर लेता है.
पैरेंट्स क्या करें?
- बच्चे से बहुत सवाल ना करें
- बच्चे को ऐसा अनुभव ना कराएं कि उसके साथ कुछ बहुत बुरा हो गया है या डरने की कोई बात है.
- बच्चे से प्यार से बात करते हुए उसे हिम्मत बंधाएं कि आप उसके साथ हैं और सब ठीक हो जाएगा.
- बच्चे के शुरुआती रुटीन में तब तक कोई बदलाव ना करें, जब तक डॉक्टर सजेस्ट ना करे.
- बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें और उसके साथ खेल खेलें. ताकि वह आपके साथ सहज फील करे और आपसे खुलकर अपनी समस्या बता पाए.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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