नई दिल्ली: नी रिप्‍लेसमेंट प्रोसेस से गुजर रहे हर रोगी की सबसे पहली इच्छा होती है कि उसे दर्द से आराम मिले और दोबारा वे स्क्वैट कर सकें, अपने पैरों को क्रॉस करके बैठ सकें. पूरी दुनिया में इस संबंध में कई शोध हो रहे हैं ताकि इस प्रक्रिया के बाद मरीजों के घुटनों को और अधिक मजबूत बनाया जा सके.

नी रिप्‍लेसमेंट प्रोसेस के बाद हर मरीज चाहता है कि उसकी चलने की स्‍पीड बाद में भी उसी तरह बरकरार रहे, जो कि आमतौर पर नहीं हो पाता है.

हाई फ्लेक्स नी- घुटनों को बनाता है मोड़ने लायक और लचीला


मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आथोर्पेडिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर अनिल अरोड़ा पिछले दो दशकों से अधिक समय से नी रिप्‍लेसमेंट कर रहे हैं और उनको नी ऑथ्रोप्लास्टी में महारत हासिल है. उन्हें क्नीलर्स कॉल्फ (जो कि जांघों को छूता है) रिप्‍लेसमेंट में महारत हासिल है. इसके लिए उन्होंने घुटने की मदद के लिए हाई फ्लेक्स नी को डिजाइन किया. यह घुटनों को मोड़ने लायक और लचीला बनाता है और यह एक सामान्य प्रक्रिया की तरह लगता है. इसकी मदद से 150 डिग्री तक घुटनों को आसानी से मोड़ सकते हैं.

प्रो. अनिल अरोड़ा के अपने एक्‍सपीरिएंस और नई टेक्‍नोलॉजी की मदद से पेशेंट्स की चलने की स्‍पीड में निरंतर सुधार हुआ है. उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सबसे अधिक हाई फ्लेक्स्ड नी सर्जरी की है.