(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Breathing Method: क्या आप सही तरीके से लेते हैं सांस? गलत तरीके से शरीर बन जाएगा बीमारियों का घर
Sans lene ka tarika: सांस तो हर कोई लेता है, लेकिन क्या आपको पता है कि सांस लेने का तरीका भी सही और गलत हो सकता है. अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है तो आइए इसके बारे में जानते हैं.
सांस है तो जिंदगी की आस है. शरीर की सारी प्रक्रिया सांस से ही जुड़ी हुई है, जिसकी वजह से आपका दिमाग काम करता है तो पाचन क्रिया भी नॉर्मल रहती है. सांस लेने की वजह से प्रॉपर नींद आती है. कुल मिलाकर कह लीजिए कि अगर सांस नहीं है तो शरीर में कुछ भी नहीं है. क्या आपको पता है कि आप जिस तरीके से सांस लेते हैं, वह तरीका गलत हो सकता है और उस गलत तरीके की वजह से आपका शरीर बीमारियों का घर बन सकता है. अगर नहीं तो खुद जान लीजिए.
अमेरिकन डॉक्टर ने दी यह जानकारी
अमेरिका में बेहद मशहूर डॉक्टर और लेखक हैं डॉ. जोसेफ मेरकोला. उन्होंने बताया है कि सांस लेने का तरीका भी आपकी सेहत पर असर डाल सकता है. उनका कहना है कि सांस लेने का मतलब सिर्फ सांस अंदर लेना और बाहर छोड़ना नहीं होता है. सांस लेने का मतलब डायाफ्राम का एक्टिव होना और फेफड़ों की क्षमता का पूरी तरह इस्तेमाल करना भी है, जिससे ब्लड प्रेशर नॉर्मल रहता है. साथ ही, दिमाग भी बेहतर तरीके से काम करता है.
कैसे ली जाती है सांस?
सबसे पहले तो आपको यह समझने की जरूरत है कि आखिर हमारा शरीर सांस कैसे लेते हैं. दरअसल, हम जब भी सांस लेते हैं कि सीने के नीचे मौजूद डायाफ्राम नाम की मांसपेशी सिकुड़ती है और नीचे की ओर चली जाती है. इसकी मदद से ही फेफड़ों को फैलने के लिए जगह मिलती है और हवा वायु थैली तक पहुंचती है. इस पॉइंट से हवा में मौजूद ऑक्सीजन खून में मिल जाती है. वहीं, खून में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड वायु थैली में आ जाती है और सांस की नली से होते हुए शरीर से बाहर निकल जाती है.
सांस लेने का गलत तरीका कैसा होता है?
अब आप सोच रहे होंगे कि सांस तो रोजाना नॉर्मल तरीके से ही ली जाती है, फिर इसमें गलती कैसे होती है? दरअसल, सांस लेने पर अगर डायाफ्राम उलट दिशा में हिलता है तो फेफड़े फैलने की जगह सिकुड़ने लगते हैं. लंबे समय तक यही प्रक्रिया जारी रहती है तो फेफड़ों में दिक्कत हो सकती है.
गलत तरीके से सांस लेने पर होती हैं ये दिक्कतें
अगर आप भी गलत तरीके से सांस लेते हैं तो शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इनमें सांस लेने में परेशानी, हार्ट रेट बढ़ना, गर्दन और कंधों में दर्द रहना, सीने में दर्द, कमजोरी, चक्कर आना और बोलने में अटकना आदि शामिल हैं.
इस तरीके से लें सांस तो नहीं होगी दिक्कत
आप जब भी बैठें तो एकदम सीधे बैठें, जिससे हवा सीधे फेफड़ों में पहुंचेगी और कार्बन डाई ऑक्साइड आराम से बाहर निकल आएगी. उदाहरण के लिए अगर आप डेस्क पर उदास बैठे हैं तो शरीर को एकदम सीधा कर लीजिए. सांस लेने का प्रोसेस ठीक होते ही आप शरीर में एनर्जी महसूस करने लगेंगे.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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