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नवजात बच्चों में HMPV का कितना खतरा, डॉक्टर ने बताया कैसे रखें ख्याल
पीडियाट्रिशियन का कहना है कि दुनियाभर के आंकड़े देखे जाए तो एचएमपीवी वायरस के सबसे ज्यादा केस 4-6 महीने के बच्चों में आ रहे हैं.
HMPV For New Born Baby : कोरोना जैसे वायरस HMPV की चपेट में ज्यादातर बच्चे आ रहे हैं. यह रेस्पिरेटरी डिजीज ज्यादातर शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वालों पर अटैक कर रहा है. इसके लक्षण सामान्य सर्दी या फ्लू की तरह ही हैं. कुछ मामलों में ब्रोंकाइटिस और निमोनिया (Pneumonia) भी हो सकते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि नवजात बच्चों (New Born Baby) के लिए ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) कितना खतरनाक है. इससे नए बच्चों को बचाने के लिए क्या-क्या सतर्कता बरतनी चाहिए...
नवजात बच्चों के लिए HMPV कितना खतरनाक
पीडियाट्रिशियन का कहना है कि दुनियाभर के आंकड़े देखे जाए तो एचएमपीवी वायरस के सबसे ज्यादा केस 4-6 महीने के बच्चों में आ रहे हैं. भारत में ज्यादातर मामले भी एक साल से कम उम्र वाले बच्चों में ही देखे गए हैं. चूंकि इन बच्चों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है, ऐसै में वायरस को अटैक करने का मौका मिल जाता है. इसलिए पैरेंट्स को सावधान रहने की जरूरत है.
HMPV से नवजात को क्या-क्या खतरे
1. न्यू बॉर्न बेबीज में सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. उन्हें सांस लेने में तकलीफ, खांसी, बुखार और जुकाम जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
2. नवजात बच्चों में HMPV निमोनिया का कारण भी बन सकता है, जो बेहद खतरनाक हो सकता है.
3. नवजात बच्चों का इम्यून सिस्टम ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाती है, इससे वे इंफेक्शन की चपेट में जल्दी आ जाते हैं. प्री मेच्योर डिलीवरी से पैदा होने वाले बच्चों में इस वायरस से अस्थमा का खतरा है. उन्हें लंबे समय तक सांस की समस्या हो सकती है.
बच्चों में इन लक्षणों को न करें अनदेखा
सामान्य वायरल
सर्दी- जुकाम
बुखार की समस्या
सांस लेने में घरघराहट सुनाई देना
नाक बहना, ब्लॉक होना
कफ होना, खांसी आना
चेहरा और शरीर लाल होना
घर पर बरतें ये सावधानियां
अपने हाथ बार-बार साबुन से धोते रहें.
बच्चों के बिस्तर नियमित साफ करें.
बिना हाथ धोए बच्चों को न छुएं.
घर में छोटा बच्चा है तो भीड़भाड़ वाले इलाकों में न जाएं.
खांसते या छींकते समय मुंह-नाक पर रुमाल या टिशू रखें.
फ्लू जैसे लक्षण नजर आए तो खुद को बच्चों से दूर, हो सके तो आइसोलेट रखें.
कमरे में वेंटिलेशन रखें, इससे इंफेक्शन का असर कम होता है.
डॉक्टर से पूछे बिना कोई भी दवा बच्चे को न दें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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