Hypersomnia Disorder: नींद हमारी सेहत से जुड़ा एक अहम फैक्टर है. लेकिन हममें से ज्यादातर लोगों को नींद (Sleep) से जुड़ी कोई ना कोई समस्या अपनी लाइफटाइम में जरूरी होती है. कुछ लोगों को बहुत नींद आने लगती है तो कुछ को सोने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है. नींद अपने तय समय से कम ली जाए तब भी ब्रेन हेल्थ (Brain Health) पर बुरा असर पड़ता है और अगर तय समय से ज्यादा ली जाए तब भी ब्रेन हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है. 


ऐसा ही एक डिसऑर्डर है हाइपरसोमनिया (Hypersomnia) . इसमें व्यक्ति को हर समय नींद आती रहती है, खासतौर पर दिन के समय में. रात को पूरी नींद लेने के बाद भी दिन में नींद का दबाव इतना तेज होता है कि सोए बिना रहा नहीं जाता और कुछ मिनट की झपकी से लेकर कुछ घंटे की नींद लेने तक दिन में सोना जरूरी हो जाता है. यह समय अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकता है.


क्या हैं हाइपरसोमनिया के लक्षण?



  • हाइपरसोमनिया में व्यक्ति को दिनभर ऐसा लगता है कि नींद आ रही है.

  • शरीर में भारीपन रहता है और इससे कार्यक्षमता कम होती है, जिससे प्रफेशनल और पर्सनल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है.

  • नींद लेने के बाद भी आपको वो ताजगी अनुभव नहीं होती है, जो होनी चाहिए. बल्कि शरीर में ऊर्जा का अभाव और सिर में भारीपन महसूस होता है.

  • रात को पर्याप्त नींद लेने के बाद भी सुबह उठने में समस्या होती है और शरीर बिस्तर पर लेटे रहने के लिए विवश करता है.

  • जागने के बाद मस्तिष्क में एक तरह का भ्रम होता है और किसी तरह की स्पष्टता और ऊर्जा अनुभव नहीं होती है.

  • अलग-अलग हेल्थ रिसर्च के आधार पर दुनिया में लगभग 5 प्रतिशत लोग हाइपरसोमिनया से ग्रसित होते हैं.

  • आमतौर पर यह समस्या किशोरावस्था और युवावस्था में अधिक होती है इस कारण इसी उम्र में ज्यादातर लोगों में डाइग्नॉज होती है.


क्यों होता है हाइपरसोमनिया?



  • हाइपरसोमनिया के कारण अभी तक अज्ञात हैं, जबकि शोधकर्ता जांच के दौरान कुछ ऐसे जीन्स की भूमिका की खोज कर रहे हैं, जो इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में अन्य लोगों से अलग हो सकते हैं।

  • कुछ रिस्क फैक्टर्स ऐसे हैं, जो हाइपरसोमिनिया की समस्या को बढ़ा सकते हैं. जैसे, बहुत अधिक एल्कोहल का सेवन करना.

  • बचपन का कोई ट्रॉमा, जिसका सही मनोचिकित्सक उपचार ना कराया गया हो.

  • कोई वायरल इंफेक्शन जो अपने तय समय से लंबा चले तो यह भी हाइपरसोमिनिया का रिस्क बढ़ा देता है.

  • अनुवांशिक रूप से भी यह समस्या परेशान कर सकती है. 

  • जिन लोगों को मेंटल डिसऑर्डर या डिजीज जैसे, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, बाइपोलर डिसऑर्डर, अल्जाइमर इत्यादि होते हैं, उनमें हाइपरसोमनिया होने का रिस्क बढ़ जाता है.


हाइपसोमनिया का इलाज क्या है?


इस डिसऑर्डर का सही इलाज आपको किसी अच्छे सायकाइट्रिस्ट से कराना चाहिए. अपनी डायट का ध्यान रखना चाहिए और मेडिटेशन जरूर करना चाहिए. क्योंकि इस तरह की समस्याओं में इच्छा शक्ति (Will Power) का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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