नयी दिल्ली: हाई ब्लड प्रेशर (हाइपर टेंशन) एक ऐसी समस्या है जिसके कोई विशेष लक्षण नहीं होते और इसी वजह से इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है. विशेषज्ञों का कहना है सिर दर्द, नजर कमजोर होने, नींद सही से नहीं आने जैसी समस्याओं की जांच के लिए जब लोग जाते हैं तो पता चलता है कि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है और नियमित दवाई से ही इसे नियंत्रित रखा जा सकता है.
द्वारका स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल के हृदयरोग विभाग के निदेशक डॉ बी के दुबे ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर एक साइलेंट किलर है क्योंकि इसके अपने कोई विशेष लक्षण नहीं होते. कई बार रोगियों को सिर में दर्द या चक्कर आने की शिकायत होती है लेकिन ज्यादातर बार मस्तिष्क, हृदय, किडनी और आंखों तक पर असर होता है.
आंकड़ों का हवाला देते हुए वह बताते हैं कि एक आकलन के अनुसार 33.8 प्रतिशत शहरी और 27.6 प्रतिशत ग्रामीण आबादी हाई ब्लड प्रेशर की शिकार है जिसका अर्थ हुआ कि हर तीसरा भारतीय इस समस्या का शिकार है.
यह लोगों की मृत्यु की भी बड़ी वजह है. पिछले कुछ सालों में बदली जीवनशैली ने लोगों में हाइपर टेंशन को बढ़ाया है. इनमें शारीरिक व्यायाम की कमी, अधिक नमक और वसा वाला जंक फूड, एल्कोहल और तंबाकू के सेवन और मानसिक तनाव आदि कारण हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि समय पर बीपी पर नजर रखकर और उसे नियंत्रित रखकर जटिलताओं को कम किया जा सकता है.
डॉ दुबे ने कहा कि रोजाना 25 से 30 मिनट की कसरत, कम नमक का प्रयोग, कम वसा वाले भोजन के इस्तेमाल से मानसिक तनाव से बचा जा सकता है और इसका बीपी रोगियों पर सकारात्मक असर दिखाई देता है. बीपी रोगियों को उपचार और दवाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
हाई ब्लड प्रेशर के प्रति जागरुकता लाने के लिए हर साल 17 मई को विश्व हाई ब्लड प्रेशर दिवस मनाया जाता है.
कोलंबिया एशिया अस्पताल, गाजियाबाद के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ राहुल रामटेके ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर या हाई बीपी की समस्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है और हृदय रोगों, किडनी के निष्क्रिय होने जैसी अनेक समस्याओं के पीछे रक्तचाप अधिक होना प्रमुख वजह है.
उन्होंने भी कहा कि कई रोगियों को अधिक रक्तचाप का पता नहीं चलता क्योंकि कोई खास लक्षण नहीं होता. सिर में दर्द, देखने में दिक्कत, नींद सही से नहीं आने जैसी समस्याओं की जांच के लिए जब लोग जाते हैं तो पता चलता है कि रक्तचाप बढ़ा हुआ है.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.