'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च' के मुताबिक भारत में लगभग 200 मिलियन यानि 20 करोड़ लोग हाइपरटेंशन यानि हाई ब्ल़ प्रेशर की बीमारी से पीड़ित हैं. ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 2 करोड़ लोगों के ही ब्लड प्रेशर कंट्रोल में है. 'इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि इस खतरनाक बीमारी के पीछे कई कारक बताए हैं. 


अनहेल्दी लाइफस्टाइल


खराब डाइट, नमक और फैट की अधिक मात्रा के कारण, अनहेल्दी और नींद की गड़बड़ी और हाई बीपी की समस्या बढ़ती है.


मधुमेह और मेटाबोलिक सिंड्रोम


ये स्थितियां अक्सर उच्च रक्तचाप के साथ-साथ चलती हैं. जिससे जोखिम और भी बढ़ जाता है.


जेनेटिक की बीमारी


लाइफस्टाइल खराब होने के कारण कई सारी जेनेटिक बीमारी का खतरा रहता है. 


बढ़ती उम्र की आबादी


जैसे-जैसे भारत की जीवन प्रत्याशा बढ़ती है, उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ती जाती है.


हाई बीपी के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है 


उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या चिंताजनक है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का संकेत है. डॉ. गुप्ता के अनुसार, उच्च रक्तचाप स्ट्रोक, दिल की विफलता और परिधीय धमनी रोग जैसी जीवन-धमकाने वाली स्थितियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है.


ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक हाई बीपी की समस्या भारत के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है. इस बीमारी के लोगों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है. हाई बीपी के शुरुआती लक्षण कुछ खास नहीं होते हैं. यही वजह होते हैं कि इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. शुरुआत में इस बीमारी का पता तब तक नहीं चल पाता है जब तक कि यह बीमारी गंभीर रूप न लें. हाई बल्ड प्रेशर दिल की बीमारी, स्ट्रोक, किडनी खराब होने और आंखों की रोशनी जैसी गंभीर समस्या का कारण हो सकती है. 


कैसे करें इस बीमारी के कंट्रोल


हेल्दी डाइट


कम नमक वाला डाइट लें. साथ ही साथ ढेर सारी फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं. फैट और कोलेस्ट्रॉल कम खाएं


एक्सरसाइज


हफ्ते में कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें. 


वजन घटाएं


अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो जरूर कोशिस करें. 


स्ट्रेस कम लें


योग, ध्यान या गहरी सांस लें ताकि इससे स्ट्रेस कम हो. 


इस बीमारी को लेकर मरीजों को जागरूक रहने की जरूरत है. भारत में यह बीमारी एक दशक पहले हो जाती है. यानि यह बीमारी दूसरे देशों में जिस उम्र में होती है उनकी तुलना में भारत में 10 साल पहले की उम्र वालों में यह बीमारी हो जाती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 


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