नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि फैटी लिवर से पीड़ित लोगों की संख्या में खतरनाक रूप में वृद्धि हो रही है. यदि ठीक से इलाज न हो तो फैटी लिवर से लंबे समय में लिवर कैंसर भी हो सकता है.


आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति के लिवर में अधिक फैट मौजूद होता है और हर 10 में से एक व्यक्ति में फैटी लिवर रोग होता है. यह चिंता का एक कारण है, क्योंकि ठीक से जांच और इलाज न हो तो फैटी लिवर से लिवर को क्षति पहुंच सकती है और लिवर कैंसर भी हो सकता है.


आईएमए के अनुसार, गैर-एल्कोहल फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) वाले 20 प्रतिशत लोगों में 20 वर्षो के अंदर लिवर सिरोसिस होने का खतरा रहता है. यह आंकड़ा शराबियों के समान है.


आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "एनएएफएलडी सिरोसिस और कभी-कभी तो क्रिप्टोजेनिक सिरोसिस की भी वजह बन सकता है. अधिक वजन वाले लोगों में प्रतिदिन दो ड्रिंक और मोटे लोगों में प्रतिदिन एक ड्रिंक लेने से हिपेटिक इंजरी हो सकती है. एनएफएलडी के चलते सिरोसिस के कारण लिवर कैंसर हो जाता है और ऐसी कंडीशन में अक्सर हृदय रोग से मौत हो जाती है."


डॉ. अग्रवाल ने कहा, "एनएफएफडीएल अल्कोहल की वजह से तो नहीं होता, लेकिन इसकी खपत अधिक होने पर स्थिति जरूर खराब हो सकती है. प्रारंभिक अवस्था में यह रोग खत्म हो सकता है या वापस भी लौट सकता है. एक बार सिरोसिस बढ़ जाए तो लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है. ऐसा होने पर, फ्लुइड रिटेंशन, मांसपेशियों में नुकसान, आंतरिक रक्तस्राव, पीलिया और लिवर की विफलता जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं."


उन्होंने कहा कि एनएएफएलडी के लक्षणों में प्रमुख हैं- थकान, वजन घटना या भूख की कमी, कमजोरी, मितली, सोचने में परेशानी, दर्द, जिगर का बढ़ जाना और गले या बगल में काले रंग के धब्बे.


आईएमए अध्यक्ष ने बताया, "एनएएफएलडी का अक्सर तब पता चल पाता है जब लिवर की कार्य प्रणाली ठीक न पाई जाए, हेपेटाइटिस न होने की पुष्टि हो जाए. हालांकि, लिवर ब्लड टैस्ट सामान्य होने पर भी एनएएफएलडी मौजूद हो सकता है. किसी भी बीमारी को और अधिक गंभीर स्तर तक आगे बढ़ने से रोकने के लिए कुछ हद तक जीवनशैली में परिवर्तन करने की जरूरत होती है."


इस स्थिति से बचाव के लिए अपनाएं ये टिप्स-




  • वजन संतुलित रखें

  • फलों और सब्जियों का खूब सेवन करें

  • हर दिन न्यूनतम 30 मिनट शारीरिक व्यायाम करें

  • शराब का सेवन सीमित करें या इसे लेने से बचें

  • केवल आवश्यक दवाएं ही लेनी चाहिए और परहेज पर ध्यान दें.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.