दुनिया भर में आज वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जा रहा है. इस दिन डायबिटीज को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है और इससे बचने के तरीकों को लोगों तक पहुंचाया जाता है. डायबिटीज को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं. बोलचाल की भाषा में डायबिटीज को हम शुगर के नाम से जानते हैं. लोगों के मन में अक्सर यह सवाल रहता है कि यदि परिवार में किसी व्यक्ति या माता-पिता को शुगर की बीमारी हो तो बच्चे को इस बीमारी का कितना खतरा रहता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स और रिसर्च की माने तो यदि माता-पिता में से किसी एक व्यक्ति को टाइप टू डायबिटीज है तो बच्चे में इस बीमारी के होने का जोखिम 4 गुना तक बढ़ जाता है. वहीं, अगर माता-पिता दोनों को टाइप टू डायबिटीज है तो बच्चे में शुगर की बीमारी होने का खतरा 50% तक बढ़ जाता है. इसका कारण है माता-पिता से मिलने वाली जींस।
जेनेटिक होता है टाइप वन डायबिटीज
डायबिटीज दो प्रकार का होता है, पहला टाइप वन और दूसरा टाइप टू डायबिटीज. टाइप वन डायबिटीज ज्यादातर जेनेटिक की वजह से होता है. यानी यदि माता-पिता, दादा-दादी किसी को शुगर की समस्या अतीत में रही है तो बच्चे को भी टाइप वन डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. टाइप वन डायबिटीज की समस्या बच्चे में जन्म से भी देखने को मिल सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जेनेटिक कारणों की वजह से पेनक्रियाज में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है.
खराब जीवनशैली की वजह से होता है टाइप टू डायबिटीज
दुनिया भर में डायबिटीज के कुल मामलों में से 90% मामले टाइप टू डायबिटीज के हैं. रिसर्च बताती है कि यदि परिवार में किसी व्यक्ति को टाइप टू डायबिटीज की बीमारी रही है तो यह बच्चे को भी हो सकती है. इसमें भी जींस का अहम रोल रहता है. वहीं, कई बार खराब लाइफस्टाइल की वजह से भी टाइप टू डायबिटीज की बीमारी हो जाती है. फैमिली हिस्ट्री के अलावा टाइप टू डायबिटीज इन कारणों की वजह से हो सकता है.
वजन ज्यादा होना
एक्सरसाइज न करना
खून में फैट और कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ना
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
महिलाओं में पीओएस की समस्या की वजह से
कैसे कम किया जा सकता है डायबिटीज का खतरा
टाइप वन डायबिटीज क्योंकि ज्यादातर जेनेटिक की वजह से होता है ऐसे में इस बीमारी को होने से पूरी तरीके से नहीं रोका जा सकता लेकिन, इसका खतरा जरूर कम किया जा सकता है.
-नवजात बच्चे को कम से कम 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पिलाएं
- बच्चे को समय समय पर टीके लगवाए और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें
-बच्चे को इंफेक्शन होने से बचाएं और उसका खास ख्याल रखें. साथ ही गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना चाहिए ताकि नवजात बच्चे को शुगर की समस्या न हो और वह स्वस्थ पैदा हो सकें.
टाइप टू डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपना लाइफ स्टाइल बदलें. खानपान में ऐसी चीजें शामिल करें जो हेल्दी हैं और नियमित रूप से व्यायाम करें. अच्छा खानपान और एक्सरसाइज टाइप टू डायबिटीज के खतरे को कम कर सकती है.
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